मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने कार्यकाल का एक साल पूरा करते ही चिर प्रतीक्षित मंत्रिमंडल का विस्तार तो कर दिया मगर अपने इन दो नए कैबिनेट मंत्रियों को महकमे देने में पूरा एक महीना लगा दिया। हिमाचल प्रदेश में कानून के मुताबिक मुख्यमंत्री समेत 12 ही मंत्री हो सकते हैं। दो नए मंत्री बनाने के लिए अब यह संख्या 11 हो गई है जबकि एक स्थान अभी भी खाली है।
तीन की जगह दो मंत्री बनाकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वीरभद्र सिंह की कूटनीति अपनाई ताकि जो मंत्रीपद के तलबगार विधायक हैं वे यही सोच कर साथ रहें कि एक जो एक स्थान बचा है , उसमें उनका नंबर लग जाए। मंत्रिमंडल में किसे लेना है यह केवल मुख्यमंत्री के ही अधिकार क्षेत्र की बात है या फिर इसे आलाकमान तय करेगा।
कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं सुजानपुर से विधायक राजेंद्र राणा सरेआम अपना रोष जाहिर कर चुके हैं कि उनका नाम तो दिल्ली से तय हो चुका था मगर न जाने शिमला पहुंचते पहुंचते क्यों कट गया। उन्होंने यहां तक कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने स्वयं उनसे वादा किया था कि आपको मंत्री बनाया जाएगा मगर नहीं बनाया। अब खुले तौर पर राजेंद्र राणा के रोष व्यक्त करने या कड़ी प्रतिक्रिया देने की कुछ तो वजह है ही।
बता दें कि राजेंद्र राणा जो कभी भाजपा में होते थे, जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का खासमखास माना जाता था, अब कांग्रेस में हैं और उन्होंने आलाकमान में अच्छी पैठ बना रखी है। धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा भी अपनी राह चल पड़े हैं। पहले मंत्रिमंडल विस्तार में ही उनका नाम चल रहा था मगर एक साल बाद हुए दूसरे विस्तार में भी उनकी गाड़ी छूट गई। अब आ रहे उनके रोचक बयानों के कई अर्थ लगाए जाने लगे हैैं। वे कई कार्यक्रमों से भी किनारा करने लगे हैं। सुधीर शर्मा बेहद नाराज हैं। हताश भी हैं यह पूरी तरह से स्पष्ट हैं।
इधर, मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए कुल्लू के विधायक सुंदर सिंह ठाकुर को भी पूरी उम्मीद थी कि उनकी पदोन्नति होगी और वे मंत्री बनाए जाएंगे मगर ऐसा भी नहीं हो सका। कुछ महीने पहले सुंदर सिंह ठाकुर ने अपनी सरकारी कार भी वापस कर दी थी। पूछे जाने पर भले ही इसका कारण कुछ और बताया था मगर बताते हैं कि वह संसदीय सचिव नहीं मंत्री बनना चाहते थे और इसी मंशा से उन्होंने कार लौटा दी थी। यही नहीं धर्मशाला के तपोवन में हुए शीतकालीन विधानसभा सत्र में भी सुंदर सिंह ठाकुर की गैरहाजिरी चर्चा का विषय बनी रही। ये विधायक गणतंत्र दिवस समारोहों से भी गायब रहे हैं । सूत्र बता रहे हैं कि कांग्रेस विधायकों का एक समूह इन दिनों गुप्त बैठकें कर रहा है।
अब मंत्रिमंडल विस्तार ने जहां तलबगारों को झटका देकर जलती पर घी का काम किया, वहीं महकमों के बंटवारे का भी असर मंत्रिमंडल की बैठक में नजर आया। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने ही खासमखास मंत्री व कई बार संकटमोचन बने हर्षवर्धन चौहान का आयुष मंत्रालय लेकर नए मंत्री यादविंदर गोमा को देकर हर्षवर्धन को करारा झटका दे दिया, वहीं विक्रमादित्य से भी युवा सेवाएं एवं खेल विभाग वापस लेकर उसे नए मंत्री को सौंप दिया।
यही नहीं अपने दूसरे खास मंत्री रोहित ठाकुर से भी तकनीकी विभाग वापस लेकर उसे किसी और महकमे की उम्मीद लगाए नए मंत्री राजेश धर्माणी को दे दिया गया। बताते हैं कि इस विभाग से राजेश धर्माणी खुश नहीं हैं और इससे रोहित ठाकुर भी अपने को कुछ कमजोर हुआ समझ रहे हैं। विस्तार व महकमों के वितरण के बाद मंत्रिमंडल की बैठक से तीन मंत्रियों की गैरहाजिरी का कारण भी यही माना जा रहा है भले ही बैठक के बाद कैबिनेट फैसले की मीडिया ब्रीफ में राजस्व, बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने स्पष्ट किया कि तीनों मंत्री बाहर होने के कारण बैठक में नहीं आ पाए। तीनों ने इस बारे में मुख्यमंत्री को सूचित कर दिया था।
सुक्खू ने अपने ही खासमखास मंत्री व कई बार संकटमोचन बने हर्षवर्धन चौहान का आयुष मंत्रालय लेकर नए मंत्री यादविंदर गोमा को देकर हर्षवर्धन को करारा झटका दे दिया, वहीं विक्रमादित्य से भी युवा सेवाएं एवं खेल विभाग वापस लेकर उसे नए मंत्री को सौंप दिया। यही नहीं अपने दूसरे खास मंत्री रोहित ठाकुर से भी तकनीकी विभाग वापस लेकर उसे किसी और महकमे की उम्मीद लगाए नए मंत्री राजेश धर्माणी को दे दिया गया।