सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच साढ़े तीन साल से चल रहे झगड़े का असर टोंक पर भी पड़ा है। सचिन पायलट टोंक विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
साल 2020 में जब सभी जिला और ब्लॉक कांग्रेस समितियों को पार्टी द्वारा भंग कर दिया गया था, तब से ही टोंक में जिला कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है। पिछले साल पार्टी ने 13 डीसीसी अध्यक्ष नियुक्त किए लेकिन टोंक का नाम उस सूची में नहीं था।
टोंक में पायलट के समर्थक दिसंबर 2018 से ही उनके सीएम बनने का इंतजार कर रहे हैं। पायलट ने टोंक से 54,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। लेकिन पार्टी ने मुख्यमंत्री गहलोत को बनाया।
अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आगामी चुनाव और गहलोत के मुख्यमंत्री पद छोड़ पार्टी का शीर्ष पद संभालने की अटकलों ने पायलट के समर्थकों को फिर से आशान्वित कर दिया है।
टोंक के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मण चौधरी गाटा कहते हैं, ”कांग्रेस पार्टी (2013 के चुनावों में) 21 सीटों पर सिमट गई थी। यह पायलट साहब ही थे जिन्होंने कड़ी मेहनत की और कांग्रेस को सत्ता में लाए। लोगों की राय है कि उन्हें कम से कम अभी सीएम बनाया जाना चाहिए ताकि कांग्रेस के पास (अगले विधानसभा चुनाव में) सत्ता बरकरार रखने का मौका हो।”
जाट नेता गाटा को 2018 में राजस्थान में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष पायलट ने पार्टी की टोंक इकाई का प्रमुख नियुक्त किया था। वह साल 2020 में डीसीसी को भंग किए जाने तक इस पद पर रहे।
स्थानीय कांग्रेस नेताओं के अनुसार टोंक निर्वाचन क्षेत्र के दो लाख से अधिक मतदाताओं में मुस्लिम (50,000), अनुसूचित जाति (45,000), गुर्जर (32,000) और जाट (25,000) शामिल हैं। 2018 के चुनाव में भाजपा ने टोंक से अपने एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार के रूप में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के करीबी पूर्व मंत्री यूनुस खान को मैदान में उतारा था। जिसे पायलट ने भारी अंतर से हरा दिया था।
