बिहार में चुनावी तस्वीर साफ होने लगी है, रुझान नतीजों में बदल रहे हैं और यह दिखाई दे रहा है कि एनडीए को जबरदस्त जीत मिल रही है और वह एक बार फिर से बिहार में सरकार बनाएगा। एनडीए की बंपर जीत और महागठबंधन की हार में सबसे ज्यादा चर्चा केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की है।

चिराग पासवान की पार्टी एनडीए में 29 सीटों पर विधानसभा का चुनाव लड़ रही थी और ताजा चुनावी रुझानों के मुताबिक, उनकी पार्टी 22 सीटों पर आगे है।

अब यह सवाल उठ रहा है कि अगर लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास 22 से 24 सीटों के आसपास रहती है तो क्या चिराग पासवान केंद्र की राजनीति छोड़कर बिहार में आ जाएंगे?

चिराग को मिली सबसे मुश्किल सीटें

चुनाव लड़ना चाहते थे चिराग पासवान

चिराग पासवान ने कई बार कहा था कि वह बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। यह लगभग तय भी था कि वह विधानसभा चुनाव में उतरेंगे लेकिन अंत में तमाम चुनावी समीकरणों को देखते हुए उन्होंने चुनाव न लड़ने का फैसला किया।

2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए से बगावत कर अकेले उतरने वाले चिराग पासवान इस बार एनडीए के साथ मिलकर लड़े और उनकी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है। चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव में धुआंधार प्रचार किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज के आधार पर बिहार के लोगों से वोट मांगे।

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‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की बात

पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। चिराग पासवान ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की बात करते रहे हैं और उन्होंने खुलकर इच्छा जताई थी कि वह बिहार की राजनीति में आना चाहते हैं। चिराग ने यह भी कहा था कि वह बिहार के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं। इसलिए सवाल उठ रहा है कि क्या वह केंद्र सरकार से इस्तीफा देकर बिहार में उपमुख्यमंत्री बनेंगे?

जिस तरह का चुनावी प्रदर्शन लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) करती दिख रही है, ऐसे में अगर चिराग उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा ठोक भी दें तो नहीं लगता कि बीजेपी या जेडीयू उसे नजर अंदाज कर पाएंगे?

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