समाजवादी पार्टी ने यूपी विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को नेता विरोधी दल बनाया है। जिसको दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के काउंटर के रूप में देखा जा रहा है। ये फैसला ठीक उस समय किया गया है, जब यूपी विधानमंडल का सत्र चल रहा है। हालांकि इसकी वजह ये भी है कि विधान परिषद में समाजवादी पार्टी दल के नेता संजय लाठर का कार्यकाल 26 मई को समाप्त हो गया था। अब जहां विधान परिषद में लाल बिहारी यादव नेता होंगे। वहीं विधानसभा में खुद अखिलेश यादव विरोधी दल नेता हैं।

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लाल बिहारी यादव वाराणसी से शिक्षक क्षेत्र से एमएलसी हैं। इसके साथ ही एक ख़ास बात ये है कि लाल बिहारी यादव आज़मगढ़ के रहने वाले हैं। आज़मगढ़ समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है और यहां से खुद अखिलेश यादव सांसद रहे हैं।

ऐसे में ये भी चर्चा चल रही है कि यहां होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी डिम्पल यादव को उतार सकती है। चर्चा ये भी है कि इसीलिए आज़मगढ़ के ही नेता को विधान परिषद में नेता विरोधी दल बनाया गया। दूसरी बात ये कि यहां यादव मतदाताओं की संख्या ज्यादा है।

आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार आजमगढ़ लोकसभा की रिक्त सीट के लिए छह जून को नामांकन दाखिल किए जाएंगे। सात जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी। नौ जून नामांकन वापसी की आखिरी तारीख होगी। 23 जून को मतदान होगा और 26 जून को मतगणना करवाई जाएगी।

प्रदेश की लोकसभा की दो रिक्त सीटों में एक आजमगढ़ की सीट पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और दूसरी रामपुर सीट पर सपा के नेता आजम खां इस्तीफा देकर विधानसभा का पिछला चुनाव जीत कर विधायक बन चुके हैं। इस वजह से यह दोनों सीटें रिक्त चल रही हैं।

पहले से ही ये चर्चा भी चल रही है कि बीजेपी भी आज़मगढ़ चुनाव में यादव चेहरे के तौर पर दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को दोबारा चुनाव लड़ा सकती है। ऐसे में अखिलेश यादव के लिए यहां के यादव मतदाताओं को साधना जरूरी था।

कौन हैं लाल बिहारी यादव
समाजवादी पार्टी ने लाल बिहारी यादव को यूपी विधानमंडल के उच्च सदन का नेता बना दिया है। इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य रहे लाल बिहारी यादव शिक्षक नेता हैं और उन्होंने माध्यमिक शिक्षक संघ के वित्त विहीन गुट बनाया था।