बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से बीजेपी के साथ सरकार बना सकते हैं। बीजेपी और जेडीयू ने पटना में विधायक दल की बैठक बुलाई है। इस बीच नीतीश कुमार काफी चर्चा में बने हुए हैं और बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि भाजपा के लिए नीतीश कुमार क्यों जरूरी हैं?

लोकसभा में बीजेपी नहीं लेना चाहती कोई रिस्क

दरअसल 4 महीने बाद लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसको लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। बिहार की राजनीतिक स्थिति ऐसी है कि जेडीयू और आरजेडी दोनों के ही साथ नीतीश कुमार सरकार चलाते हैं। ऐसे में दोनों दलों के लिए वह जरूरी हैं।

2019 का प्रदर्शन दोहराना चाहती बीजेपी

पूरी बीजेपी का ध्यान लोकसभा चुनाव पर है और वह 2019 वाला प्रदर्शन बिहार में फिर से दोहराना चाहती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को 40 में से 39 सीटें बिहार में मिली थी। 17 सीटों पर चुनाव लड़ी जेडीयू ने 16 पर जीत हासिल की थी तो वहीं भाजपा ने सभी 17 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं 6 सीटें लोक जनशक्ति पार्टी ने जीती थी। लेकिन 2022 के अगस्त महीने में नीतीश कुमार एनडीए से बाहर हो गए और आरजेडी के साथ उन्होंने सरकार बनाई।

नीतीश के जाने के बाद बीजेपी को था डर

नीतीश के चले जाने के बाद भाजपा को लगने लगा कि लोकसभा चुनाव में उसके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आरजेडी और जेडीयू दो बड़े दल एक साथ है। लोकसभा 2019 के चुनाव में एनडीए को 54% वोट मिले थे, जिसमें से 22 प्रतिशत वोट जदयू का था। जबकि महागठबंधन को 31% वोट मिले थे।

कुर्मी वोट पर नजर

ऐसी कई सीटें हैं जहां पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का वर्चस्व है और बीजेपी आसानी से उनके साथ मिलकर जीत सकती है। बिहार की राजनीति के जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार का बिहार में 20% वोट कहीं नहीं गया है। नीतीश कुर्मी जाति से आते हैं और उनका असर बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के भी कई इलाकों में भी है।इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।