बिहार के विधानसभा चुनाव में एनडीए के दो दलों- जेडीयू और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने इस बार पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में कम मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि इन दोनों का ही दावा है कि मुस्लिम समुदाय का राजनीतिक समर्थन उनके साथ है।

बीजेपी ने 2020 की ही तरह इस बार भी बिहार में मुस्लिम समुदाय के किसी नेता को उम्मीदवार नहीं बनाया। बिहार में मुस्लिम समुदाय की आबादी 17.7 प्रतिशत है।

जेडीयू ने उसके हिस्से में आई 101 सीटों में से सिर्फ चार सीटों पर ही मुसलमानों को टिकट दिया। ये सीटें अररिया, जोकीहाट, अमौर और चैनपुर हैं।

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पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 11 मुसलमानों को उम्मीदवार बनाया था लेकिन उनमें से किसी को भी जीत नहीं मिली थी। 2015 में जब जेडीयू आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी तब उसने 6 मुसलमानों को टिकट दिया था जिनमें से पांच मुस्लिम नेता चुनाव जीते थे।

2010 में जेडीयू ने 14 मुस्लिम नेताओं को टिकट दिया था और इसमें से 6 को जीत मिली थी।

एलजेपी (रामविलास) ने दिया सिर्फ एक टिकट

जेडीयू ने जहां चार मुस्लिमों को टिकट दिया है वहीं एलजेपी (रामविलास) ने मुस्लिम समुदाय के सिर्फ एक शख्स को उम्मीदवार बनाया है। यह टिकट मोहम्मद मलीमुद्दीन को किशनगंज जिले की बहादुरगंज सीट से मिला है।

2020 में जब एलजेपी (रामविलास) में टूट नहीं हुई थी तब पार्टी ने 135 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा था और 7 सीटों पर मुस्लिमों को उतारा था हालांकि उनमें से किसी को भी जीत नहीं मिली थी। 2015 में पार्टी ने 42 सीटों पर चुनाव लड़ा था और तीन मुसलमानों को टिकट दिया था।

क्या बोले बीजेपी नेता?

बीजेपी ने किसी भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है लेकिन फिर भी पार्टी के मुस्लिम नेताओं का कहना है कि वह अपने समुदाय के लोगों से अपील करेंगे कि राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और बेहतर कानून व्यवस्था के मुद्दे पर एनडीए को वोट दें।

जेडीयू के एक नेता ने कहा, “इस बार मुस्लिम समुदाय के कम उम्मीदवार उतारने के पीछे वजह यह है कि उन्हें जीत नहीं मिल पा रही थी, ऐसे में टिकट क्यों बर्बाद किया जाए? ऐसा लगता है कि बीजेपी की तरह ही जेडीयू भी मुसलमानों की राजनीतिक भागीदारी कम कर रही है।”

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कुशवाहा, मांझी ने भी नहीं दिया टिकट

एनडीए के दो अन्य घटक दलों- उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) ने भी किसी मुस्लिम को उम्मीदवार नहीं बनाया।

कुछ महीने पहले ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कुछ अन्य मुस्लिम संगठनों ने जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) को चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने वक्फ कानून में हुए संशोधन का समर्थन किया तो उन्हें इसका असर दिखाई देगा।

जेडीयू नेता कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए काम किया है। एलजेपी (रामविलास) के प्रवक्ता एके वाजपेयी कहते हैं कि मुस्लिम समुदाय के लोग उनका समर्थन करते रहेंगे।

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