पहलवानों के धरने के बाद बीजेपी पर अपने सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Kaiserganj MP Brijbhushan Sharan Singh) पर कार्रवाई करने का दबाव बन रहा है। वर्तमान में बृजभूषण शरण सिंह उत्तर प्रदेश के कैसरगंज लोकसभा सीट से सांसद हैं। 1991 में पहली बार बृजभूषण शरण सिंह लोकसभा के लिए चुने गए एक बार उनकी पत्नी भी उत्तर प्रदेश से सांसद रह चुकी हैं।

1996 में जब दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों को कथित रूप से शरण देने के लिए टाडा मामले में आरोपित होने के बाद बृजभूषण सिंह को टिकट नहीं मिला, तो उनकी पत्नी सिंह को गोंडा केतकीदेवी को भाजपा ने मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की। 1998 में बृजभूषण शरण सिंह को गोंडा से समाजवादी पार्टी के कीर्तिवर्धन सिंह से हार का सामना करना पड़ा।

अपने प्रभावशाली चुनावी प्रभाव के बृजभूषण सिंह द्वारा चलाए जा रहे लगभग 50 शैक्षणिक संस्थानों की एक चेन के माध्यम से दबदबा कायम करते हैं, जो अयोध्या से श्रावस्ती तक 100 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। वहीं उनके रिश्तेदारों ने भी इस तरह की संस्थाओं की स्थापना की है। स्थानीय भाजपा सूत्रों का कहना है कि बृजभूषण सिंह की चुनावी मशीनरी लगभग पूरी तरह से इस सेट-अप द्वारा चलाई जाती है, जो पार्टी से स्वतंत्र है।

स्थानीय भाजपा नेता 2009 का उदाहरण देते हैं, जब बृजभूषण सिंह ने बीजेपी से अलग होते हुए सपा का रुख किया और कैसरगंज से भाजपा उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की। बृजभूषण सिंह ने जुलाई 2008 में भाजपा सांसद के रूप में परमाणु समझौते की बहस के दौरान बीजेपी छोड़ने की घोषणा की थी।

संघ परिवार से बृजभूषण सिंह के संबंध भाजपा में शामिल होने से पहले के हैं। दिवंगत वीएचपी प्रमुख अशोक सिंघल के करीबी माने जाने वाले बृजभूषण सिंह ने अयोध्या में पढ़ाई की थी और छात्र राजनीति में शामिल थे। 6 दिसंबर, 1992 को जब बाबरी मस्जिद को गिराया गया था, उस समय मंदिर अन्य लोगों के साथ उनके खिलाफ भी लोगों को भड़काने के लिए मामला दर्ज किया गया था। इस दौरान बृजभूषण सिंह भाजपा उम्मीदवार के रूप में अपना पहला चुनाव जीत चुके थे।

पहलवानों द्वारा अपना विरोध शुरू करने के बाद से बृजभूषण सिंह ने काफी हद तक खुद को लो प्रोफाइल रखा है। गुरुवार को अपने पहले बयान में उन्होंने कहा, “जिस दिन मुझे लगेगा कि मेरी संघर्ष करने की क्षमता खत्म हो गई है। मैं मौत को गले लगा लूंगा।” उनके द्वारा चलाए जा रहे एक कॉलेज के प्रिंसिपल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि बृजभूषण सिंह की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “वह गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती और बलरामपुर में शिक्षा लेकर आए, जो नब्बे के दशक की शुरुआत तक शैक्षिक रूप से पिछड़े जिले थे। जहां भी उन्हें लगा कि कोई कॉलेज नहीं है, उन्होंने एक कॉलेज की स्थापना की।”

सूत्रों ने बताया कि हाल ही में बृजभूषण सिंह के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) से संबंध खराब हो गए थे। जैसा कि आदित्यनाथ के हिंदुत्व चेहरे के कारण अयोध्या क्षेत्र में दोनों के बीच हितों का टकराव है। जबकि बृजभूषण सिंह का पार्टी के शीर्ष नेताओं से सीधा संबंध तनाव का कारण बना है।

बीजेपी के एक नेता का कहना है कि पिछले कुछ सालों में स्थानीय प्रशासन बृजभूषण सिंह के प्रति बहुत सहायक नहीं रहा है। पार्टी के नेता इस साल फरवरी की एक घटना का हवाला देते हैं जब बृजभूषण सिंह के भतीजे सुमित भूषण सिंह पर गोंडा में लगभग 3 एकड़ नजूल भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाया गया था। उस पर बनी चारदीवारी को प्रशासन ने तोड़ दिया और सुमित व उसके साथियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी।