Gujarat Politics: साल के अंत में गुजरात में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की सियासत में काफी हलचल देखने को मिल रही है। गुजरात में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा कि 27 साल से हमारे साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि पटेलों पर जो केस हुए, वो वापस लिए गए तो एससी/एसटी के केस क्यों नहीं।

उन्होंने कहा, “हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन के दौरान जो मुकदमे दर्ज हुए, उनमें से 15-16 केस वापस ले लिए। उस दौरान पटेल समुदाय पर और भी मुकदमे लगे वो वापस ले लो, लेकिन दलितों पर लगा हुआ एक भी केस वापस लेने के लिए तैयार नहीं हैं। उल्टा मुझे असम की जेल में डाला। एक समुदाय के केस वापस लेंगे और एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के केस वापस नहीं लेंगे तो ये क्या दर्शाता है।”

उन्होंने कहा, “गुजरात की विधानसभा के मंच के ऊपर हम बार-बार इस मुद्दे को उठा रहे हैं कि राज्य में ओबीसी समुदाय की जनसंख्या 52 फीसदी है, तो अगर बजट के 100 रुपए आवंटित होते हैं तो 52 रुपया इसी समुदाय को मिलना चाहिए, 7 फीसदी दलित समाज की, 14 फीसदी आदिवासी समुदाय की और करीब 9-10 अल्पसंख्यक की आबादी है। तो उसके अनुपात में बजट क्यों आवंटित नहीं होता है।”

गुजरात में राजस्थान मॉडल दिखा रही कांग्रेस

कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को सौंपी है। पार्टी यहां राजस्थान मॉडल से लोगों को लुभाने में लगी है।

उधर, आम आदमी पार्टी भी बीजेपी के गढ़ में काफी सक्रिय नजर आ रही है। दिल्ली सीएम ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं और दिल्ली एवं पंजाब मॉडल बात कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में अपनी एक जनसभा के दौरान कहा था कि अगर गुजरात में आप जीतती है, तो दिल्ली मॉडल लागू होगा। उन्होंने लोगों से वादा किया था कि आप अगर सत्ता में आएगी तो मुफ्त बिजली मिलेगी और जिनके पुराने बिल पेंडिंग हैं वो भी माफ कर दिए जाएंगे।