हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना चर्चा में हैं। पहले वह 31 मार्च को रिटायर होने वाले थे लेकिन उन्हें 6 महीने का सेवा विस्तार दिया गया। हालांकि जब तक सेवा विस्तार नहीं मिला था, तो उनकी रिटायरमेंट 31 मार्च को ही माना जा रहा था। 28 मार्च को राज्य आईएएस अधिकारी संघ ने शिमला के एक आलीशान होटल में उनके लिए फेयरवेल डिनर का आयोजन किया। इस पार्टी में वह अधिकारी भी शामिल थे जो मुख्य सचिव पद की दौड़ में थे। लेकिन पार्टी के दौरान ही पता चला की प्रबोध सक्सेना को 6 महीने का एक्सटेंशन मिल गया।
होली पार्टी विवाद को लेकर चर्चा में सक्सेना
होली पार्टी विवाद को लेकर सक्सेना सबसे अधिक चर्चा में हैं। 14 मार्च को मुख्य सचिव ने एक होटल में कार्यक्रम की मेजबानी की थी और 1.22 लाख रुपये का बिल हिमाचल सरकार को भेज दिया था। राज्य पहले से ही नकदी की कमी से जूझ रहा है। कथित बिल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। प्रबोध सक्सेना ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मैं ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए अधिकृत हूं। यह कार्यक्रम नियमों के दायरे में आयोजित किया गया था। मेरे दोस्त कार्यक्रम में नहीं थे।”
बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा
हालांकि पूरे मुद्दे पर भाजपा ने पूछा है कि राज्य अपनी खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए इस तरह के फिजूलखर्ची को कैसे वहन कर सकता है? भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह ने एक बयान में कहा, “यह स्पष्ट है कि यह लोकतांत्रिक भावना, नैतिक आचरण और प्रशासनिक शिष्टाचार का घोर उल्लंघन है। जब राज्य एक लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा हुआ है, तो इस तरह के आयोजनों से पता चलता है कि सरकार और नौकरशाही को आम लोगों की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है।” उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्य सचिव ने केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का उल्लंघन किया है।
विपक्ष के सवालों का सामना करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के एक वरिष्ठ सलाहकार सुखविंदर सिंह सुख ने कहा कि प्रबोध सक्सेना को पार्टी को व्यक्तिगत मानना चाहिए और बिल का भुगतान करना चाहिए। वहीं सीएम के मीडिया सलाहकार नरेश चौधरी ने कहा, “मैंने मुख्य सचिव को पार्टी को व्यक्तिगत मानने और खुद बिल का भुगतान करने का सुझाव दिया होता। मेरी व्यक्तिगत राय में, हमें ऐसी चीजों से बचना चाहिए।”
विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने सरकार से सवाल किया कि प्रबोध सक्सेना को सेवा विस्तार क्यों दिया गया और नौकरशाही में अन्य लोगों को मौके क्यों नहीं दिए जा रहे हैं?
जानें क्या कहते हैं अधिकारी
28 मार्च को पार्टी में शामिल हुए एक अधिकारी ने बताया, “हममें से अधिकांश लोग इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थे कि उन्हें (सक्सेना को) पार्टी में आने से पहले ही सेवा विस्तार के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने अपने पत्ते गुप्त रखे। हममें से कुछ लोग दंग रह गए, लेकिन जब उन्होंने यह घोषणा की तो कुछ अन्य लोगों ने खुशी मनाई।”
उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं सक्सेना
1990 बैच के आईएएस अधिकारी प्रबोध सक्सेना का जन्म और पालन-पोषण उत्तर प्रदेश में हुआ और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून और अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। सिविल सेवा में शामिल होने से पहले, उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से डिग्री हासिल की। तीन दशकों से अधिक के प्रशासनिक करियर के साथ प्रबोध सक्सेना ने वर्तमान छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक SDM के रूप में शुरुआत की और हिमाचल प्रदेश के मंडी के डिप्टी कमिश्नर बन गए। यहां उन्होंने भूमि राजस्व प्रबंधन और जिला प्रशासन में अनुभव प्राप्त किया। उन्होंने 2008 से 2013 के बीच केंद्रीय वित्त मंत्रालय में काम किया।
केंद्र में संभाल चुके हैं अहम पद
अप्रैल 2008 और जुलाई 2010 के बीच प्रबोध सक्सेना को आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के निदेशक के रूप में कार्य किया, जिसमें विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) था जो उस समय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए जिम्मेदार था। इसी दौरान कथित आईएनएक्स मीडिया घोटाला हुआ था, जिसमें तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति का नाम आया था।
ADB में भी कर चुके हैं काम
2013 में प्रबोध सक्सेना को मनीला (फिलीपींस) में एशियाई विकास बैंक (ADB) के कार्यकारी निदेशक का वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया गया, जिस पद पर वे 2016 तक कार्यरत रहे। पूरे विवाद पर सरकार के एक सूत्र ने कहा, “सक्सेना के पास व्यापक अनुभव है और अपने विचारों को व्यक्त करने का उनका अपना अनूठा तरीका है। उन्हें गांवों, सड़कों और आम लोगों तक पहुँचना चाहिए।”
सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी माने जाने वाले प्रबोध सक्सेना को 1 जनवरी, 2023 को मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था। करीब पांच वरिष्ठ IAS अधिकारियों को पीछे छोड़ते हुए उन्हें यह पद दिया गया। 1987 बैच के राम सुभग सिंह, 1987 बैच की निशा सिंह, 1988 बैच की अली रज़ा रिज़वी, 1988 बैच के संजय गुप्ता, और 1989 बैच के संजय मूर्ति को दर्निकर करते हुए सक्सेना को नियुक्त किया गया था।
सुक्खू के करीबी हैं सक्सेना
एक सरकारी अंदरूनी सूत्र ने कहा, “वास्तव में उन्हें CM सुक्खू का समर्थन प्राप्त है। लेकिन सत्तारूढ़ दल में उनके प्रभाव का अंदाजा दिसंबर 2024 की एक घटना से लगाया जा सकता है। राज्य सरकार के सत्ता में दो साल पूरे होने के जश्न के दौरान, जहां डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने हजारों लोगों के सामने सक्सेना का जिक्र किया, उनसे नौकरशाहों और अधिकारियों को यह बताने के लिए कहा कि कांग्रेस सरकार नहीं गिरेगी।
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा था, “हमारे डीजीपी और मुख्य सचिव भी यहां बैठे हैं। मैं अपने मुख्य सचिव से कहना चाहता हूं कि वे नौकरशाही और सरकारी कर्मचारियों को बताएं कि यह सरकार गिरने वाली नहीं है। आप लोग हर दिन बंद दरवाजों के पीछे चर्चा करते हैं। यहां इकट्ठा हुए ये सभी नेता, समर्थक और कर्मचारी इस सरकार की उपलब्धियों के गवाह हैं।”