पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित नैनी सेंट्रल जेल से बाहर निकल गए हैं। उदयभान करवरिया पूर्व समाजवादी पार्टी (SP) विधायक जवाहर यादव की 1996 में हत्या के लिए एक स्थानीय अदालत द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। 55 वर्षीय उदयभान को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा उनकी दया याचिका को मंजूरी दिए जाने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया।
4 नवंबर 2019 को प्रयागराज जिला और सत्र न्यायालय ने दो बार के भाजपा विधायक उदयभान, उनके दो भाइयों (पूर्व बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया और पूर्व बसपा एमएलसी सूरज भान करवरिया) को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उनके चचेरे भाई राम चंद्र को जवाहर यादव की हत्या में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया गया और तब से वे जेल में थे।
अदालत ने 2018 में उदयभान और अन्य आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला वापस लेने की राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। उदयभान तीन भाइयों में दूसरे नंबर के हैं। हालांकि वह अब जेल से बाहर हैं। जबकि उनके भाई और चचेरे भाई अभी भी जेल में हैं।
एक अधिकारी ने कहा, “इस साल 19 जुलाई को राज्य सरकार ने उदयभान की दया याचिका को मंजूरी देने के राज्यपाल के कदम के मद्देनजर उनकी समयपूर्व रिहाई का आदेश जारी किया। अपने आदेश में राज्य सरकार ने कहा कि उदयभान की सजा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) और प्रयागराज जिले के जिला मजिस्ट्रेट (DM) द्वारा की गई सिफारिशों, जेल में उनके अच्छे आचरण और दया याचिका समिति की सिफारिश पर आधारित थी। आदेश में कहा गया कि उन्होंने 30 जुलाई 2023 तक आठ साल, नौ महीने और ग्यारह दिन जेल में बिताए थे।”
2002 में उदयभान (प्रयागराज के सबसे प्रभावशाली परिवारों में से एक हैं) भाजपा के टिकट पर विधायक चुने जाने वाले अपने परिवार के पहले व्यक्ति बने। उनके पिता वशिष्ठ नारायण करवरिया ने भी पहले दो बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़कर राजनीति में कदम रखा था, लेकिन दोनों बार हार गए थे। उदयभान के करीबी सहयोगी जितेंद्र ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि करवरिया परिवार मूल रूप से पड़ोसी कौशांबी जिले का रहने वाला था, जो कई दशक पहले प्रयागराज में आ गया था। 1996 में उदय भान को इलाहाबाद जिला सहकारी बैंक का अध्यक्ष चुना गया, जो उनके राजनीतिक उत्थान की शुरुआत थी।
2002 के विधानसभा चुनाव में उदयभान ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में प्रयागराज के बारा से चुनाव लड़ा और सीट जीती। 2007 के विधानसभा चुनाव में वह बारा सीट से दोबारा चुने गए। हालांकि 2012 के विधानसभा चुनाव में जब उन्होंने इलाहाबाद उत्तर से चुनाव लड़ा तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा।2009 के लोकसभा चुनाव में उदयभान के बड़े भाई कपिल मुनि ने बसपा के टिकट पर फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। उसी साल उनके छोटे भाई सूरजभान बसपा एमएलसी बने। करवरिया परिवार (ब्राह्मण समुदाय से है) का प्रयागराज की राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है। इनके होटल, कंस्ट्रक्शन और पेट्रोल पंप सहित व्यापार है। परिवार के पास कई दुकानें भी हैं, जहां से वह किराया वसूल करता है। हालांकि परिवार मुख्य रूप से प्रयागराज में रेत ठेकों में अपने प्रभुत्व के लिए जाना जाता है।
जब तीनों भाई जेल में थे, तब उदयभान की पत्नी नीलम करवरिया ने भाजपा के टिकट पर प्रयागराज के मेजा से 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि नीलम 2022 का चुनाव इस सीट से सपा के संदीप सिंह से मामूली अंतर से हार गईं। जवाहर यादव की हत्या करवरिया के साथ व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता के कारण हुई। जब जवाहर यादव रेत ठेका कारोबार में उतरे तो उनके बीच तनाव पैदा हो गया।
13 अगस्त 1996 को जवाहर यादव अपने सहयोगियों के साथ एक कार में यात्रा कर रहे थे, जब हमलावरों के एक ग्रुप ने प्रयागराज के सिविल लाइन्स इलाके में वाहन को रोक लिया और एके -47 का उपयोग करके उन पर अंधाधुंध गोलीबारी की। झूंसी विधानसभा क्षेत्र से तत्कालीन सपा विधायक जवाहर यादव, उनके ड्राइवर गुलाब यादव सहित दो अन्य लोगों के साथ हमले में मारे गए थे। प्रयागराज में यह पहला मौका था जब किसी हत्या के मामले में एके-47 का इस्तेमाल किया गया।
उदयभान की समय से पहले रिहाई पर जवाहर यादव की पत्नी और चार बार की विधायक विजयमा यादव ने कहा कि वह उन्हें छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने के लिए अदालत का रुख करेंगी। विजयमा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार के रूप में प्रयागराज के प्रतापपुर से जीत हासिल की। एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी (जिन्होंने प्रयागराज में लंबा समय बिताया) ने कहा कि उदयभान के पिता वशिष्ठ (जिन्हें भुक्कल महाराज के नाम से भी जाना जाता है) का प्रयागराज में काफी प्रभाव था, जो लोगों को उनके परिवार के साथ किसी भी विवाद में शामिल होने से रोकते थे। 1991 में एक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटों ने उनका व्यवसाय संभाला।
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पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा, “छोटे मुद्दों में शामिल होने के बजाय उदयभान और उनके भाइयों ने महत्वपूर्ण भूमि और व्यावसायिक मामलों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने राजनीतिक नेताओं से भी जुड़ना शुरू कर दिया और पड़ोसी बांदा और चित्रकूट जिलों में अपने अभियान का विस्तार किया। उदय भान और उनके भाई आम तौर पर ऐसी गतिविधियों में शामिल होने से बचते हैं जो वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं के साथ उनकी निकटता के कारण उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकती हैं। जवाहर यादव को छोड़कर, ये भाई कभी भी किसी भी मामले पर किसी अन्य प्रभावशाली व्यक्ति के साथ संघर्ष में शामिल नहीं हुए।”
1990 में मुंबई के एक कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग पूरी करने वाले उदयभान अपने पिता की मृत्यु के बाद पारिवारिक व्यवसाय में शामिल हो गए। कपिल मुनि 2000 में कौशांबी जिला पंचायत अध्यक्ष थे। एमएलसी बनने से पहले सूरजभान 2009 में कौशांबी में मंझनपुर ब्लॉक अध्यक्ष थे।