दिग्विजय सिंह की गिनती गांधी परिवार के करीबी सदस्यों के तौर पर होती रही है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ उनके संबंध मधुर माने जाते हैं, साथ ही वह राजीव गांधी के काफी करीबी रहे थे। राजीव गांधी के जरिए उन्हें मिली एक सीख का जिक्र दीपक तिवारी द्वारा लिखित किताब राजनीतिनामा में मिलता है। जब एक घटनाक्रम के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को समझ आया था कि राजनीति में कोई किसी का गुरु नहीं होता है।
किताब के अनुसार, एक समय ऐसा आया था जब राजीव गांधी ने दिग्विजय सिंह को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर सबको हैरान कर दिया था। 1987 में राजीव गांधी ने एक दिन दिग्विजय सिंह को बुलाया और कहा कि वह उन्हें मध्य प्रदेश का कांग्रेस बनाना चाहते हैं।
उस समय दिग्विजय सिंह, अर्जुन सिंह को अपना गुरु माना करते थे। राजीव गांधी के इस प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए वह फौरन अपने गुरु अर्जुन सिंह के पास पहुंचे और उनकी राय जानने के लिए पूरी बात बता दी। अर्जुन सिंह ने उन्हें क्या सलाह दी इस बात का जिक्र किताब में नहीं है लेकिन सिंह खुद राजीव गांधी के पास जरूर पहुंच गए थे।
किताब के अनुसार, अर्जुन सिंह ने राजीव गांधी से मुलाकात कर खुद को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का निवेदन कर दिया। इस बात को जानकर राजीव गांधी हैरान रह गए। उन्होंने दोबारा दिग्विजय सिंह को बुलाया और उनसे पूछा कि मैंने जो प्रस्ताव तुम्हे दिया था, उसकी जानकारी अर्जुन सिंह को कैसे लगी। यह बात जानने के बाद दिग्विजय सिंह सारा मामला समझ गए, उस दिन उन्होंने मान लिया कि राजनीति में कोई किसी का गुरु नहीं होता है। उन्होंने इस मामले के बाद सार्वजनिक तौर पर कहा भी था कि मुझे बड़ी राजनीतिक सीख मिली है।
राजीव गांधी के निधन के बाद दिग्विजय सिंह ने सोनिया गांधी को सक्रिय राजनीति में आने के लिए तैयार किया था। सोनिया भी दिग्विजय सिंह की सलाह पर कोई फैसला लेती थीं। किताब में बताया गया है कि फरवरी 2002 में दिग्विजय सिंह की राय पर ही सोनिया गांधी ने कांग्रेस को सॉफ्ट हिंदुत्व यानी नरमपंथी हिंदू विचारधारा पर चलने के लिए राजी किया था।