MCD Standing Committee Elections: दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति में एक खाली सीट पर आज हुए उपचुनाव में बीजेपी की जीत हुई है और विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को करारा झटका लगा है। स्टैंडिंग कमेटी के लिए हुए उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी सुंदर सिंह तंवर ने जीत दर्ज की है, उन्हें 115 वोट मिले। ध्यान देने वाली बात यह भी रही कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ने ही इस चुनाव के लिए वोटिंग से दूरी बना ली।

गौरतलब है कि इस समिति के लिए होने वाली वोटिंग से पहले बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच भारी टकराव देखने को मिला। गुरुवार को नगर निगम के सदन में जमकर हंगामा हुआ था, जिसके बाद शुक्रवार को वोटिंग हुई है। बता दें कि कमलजीत सेहरावत के इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हुई थी, जिसको लेकर चुनाव की तारीख पहले ही तय कर दी गई थी।

क्या है MCD की स्टैंडिंग कमेटी?

दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी यानी स्थायी समिति की अहमियत की बात करें तो यह नीति-निर्माण समिति होती है, जिसमें 18 निर्वाचित पार्षद होते हैं, जिनमें से 12 दिल्ली के विभिन्न जोनों से चुने जाते हैं, और 6 सदस्यों का चुनाव सीधे MCD सदन द्वारा होता है। यह समिति वित्तीय और प्रशासनिक मामलों में फैसले लेने में अहम भूमिका निभाती है और नगर निगम के कामकाज को सुचारू रूप से मैनेज करती है।

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इस समिति का असर मेयर के कामकाज पर भी पड़ता है क्योंकि एमसीडी के संवैधानिक प्रमुख के तौर पर मेयर सुप्रीम होता है, वहीं स्थायी समिति को ज्यादा पावरफुल माना जाता है। इस समिति के पास सभी अहम प्रस्तावों की समीक्षा, संशोधन और अनुमोदन की शक्तियां भी होती हैं, जो एमसीडी हाउस में पेश करने से पहले तमाम चीजों का रिव्यू करती है। इसलिए, मेयर सिर्फ उन्हीं मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं जिन्हें स्थायी समिति ने पहले से मंजूरी दी हो।

नगर निगम सदन में क्यों हुआ हंगामा?

अहम बात यह है कि आखिर यह टकराव क्यों हुआ तो बता दें कि आयुक्त की तरफ से पार्षदों पर मोबाइल साथ लाने पर लगाई गई रोक को लेकर दोनों में टकराव हुआ। इसके चलते मेयर शैली ओबरॉय और आयुक्त के बीच भी टकराव देखने को मिला। दोनों ने ही एक दूसरे के आदेश की अनदेखी की।

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मेयर ने 5 अक्टूबर तक टाला था चुनाव

मेयर ने पार्षदों की गरिमा का हवाला देते हुए उनकी जांच न करने और मोबाइल लाने के निर्देश दिए। वहीं, आयुक्त ने चुनाव निष्पक्ष कराने व गोपनीयता बनाए रखने का हवाला देते हुए फोन लाने पर लगाई गई रोक को जायज ठहराया। इसके चलते ही चुनाव 5 अक्टूबर तक के लिए मेयर द्वारा स्थगित कर दिए गए थे।

एलजी ने पलटा मेयर का फैसला और फिर हुए चुनाव

गुरुवार को नगर निगम में काफी हंगामा हुआ लेकिन चुनाव नहीं हो पाए। चुनाव टालने के मेयर के फैसले को एलजी वीके सक्सेना पलट दिया। इसके चलते फिर से चुनाव की तैयारियां हुईं। गुरुवार की बजाए शुक्रवार को हुई वोटिंग में बीजेपी के पार्षदों ने हिस्सा लिया लेकिन कांग्रेस और आप दोनों ने ही वोटिंग से दूरी बना ली।