What is Digital Arrest: आज के डिजिटल दौर में लगातार साइबर ठगी के मामले में बढ़ रहे हैं और फ्रॉड करने वाले हर दिन किसी नए तरीके से लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। कुछ ऐसा ही एक बार फिर हुआ जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक पूर्व प्रोफेसर को साइबर ठग ने डिजिटल अरेस्ट कर लिया और उनसे एक, दो या तीन नहीं बल्कि 75 लाख का फ्रॉड किया गया। यह डिजिटल अरेस्ट का खेल 10 तक दिन तक चला, जिसने सभी को हैरान कर दिया है।

दरअसल, डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर ठगों ने AMU के पूर्व प्रोफेसर को पहले दिन पहले दो घंटे तक वीडियो कॉल पर धमकाया और पैसे वसूले। इसके बाद अगले दस दिन तक महिला प्रोफेसर के साथ लगातार ऐसा ही किया और कुल मिलाकर महिला प्रोफेसर से 75 लाख रुपये की ठगी कर ली।

AMU की प्रोफेसर के साथ बड़ी ठगी

AMU की रिटायर्ड प्रोफेसर की उम्र करीब 81 साल है, जो कि अलीगढ़ में ही रहती हैं। पहले दिन उनके पास एक कॉल आई और कॉल करने वाले उनके बैंक खातों से गलत लेन देन का बात कहते हुए उन्हें डराया। फिर कुछ देर बाद आई वीडियो कॉल में ठग ने खुद को मुंबई ईडी का अधिकारी बताया और एक फर्जी एफआईआर की कॉपी महिला प्रोफेसर को भेज दी।

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इस दौरान उस ठग ने यह भी कहा कि एक नरेश गोयल नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया है, जिसने सभी जानकारी शेयर की है। इसके बाद आरोपी ने महिला के पैन व आधार कार्ड की डिटेल ले ली। फिर कहा कि आपकी खाते सुप्रीम कोर्ट में जमा होंगे और पूरी जांच के बाद ही वापस मिलेंगे। इतना ही नहीं, आरोपी ने यह भी कहा कि अगर इस बात की जानकारी दी तो महिला के सात उन लोगों को भी 6-6 महीने की सजा होगी।

महिला ने पुलिस को दी जानकारी

ऐसे में 10 दिनों तक महिला के साथ दस दिन तक पैसों की लूट हुई। इसके बाद महिला ने पुलिस को जानकारी दी है कि कमर जहां ने शुक्रवार को FIRदर्ज कराई। पुलिस ने इसके बाद सभी बैंकों को अलर्ट जारी किया। पुलिस ने बताया कि जांच में पता चला है कि 21 बैंकों के खातों में पैसा भेजा गया था।

पुलिस ने बताया कि उनकी दखल के कारण 13 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन नहीं हो पाया। मामले की जांच कर रहे साइबर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर वीडी पांडे ने पीटीआई को बताया कि पीड़िता को 10 दिनों से अधिक समय तक डिजिटल गिरफ्तारी में रखा गया था। इस दौरान आरोपी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए जहान पर पैसे देने का दबाव बनाया था।

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जब एहसास हुआ तो दर्ज कराई FIR

पीड़िता प्रोफेसर ने पुलिस को बताया है कि उसे पहली कॉल 28 सितंबर को आई थी। आरोपी ने कहा था कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंसी है। हालांकि, दो दिन पहले उसे अहसास हुआ कि उसके साथ धोखा हुआ है और उसने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट की बात करें तो किसी भी शख्स को किसी भी गलतफहमी का शिकार बनाकर डर और दहशत में डाल देने और उस डर की मदद से रकम वसूलने, यानी साइबर क्राइम का शिकार बनाने को डिजिटल अरेस्ट कहते हैं।