बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है। इस बार का चुनाव ऐतिहासिक और अप्रत्याशित है। जातियों से ऊपर उठकर इस बार बिहार चुनाव में कई दूसरे मुद्दे जोर पकड़ते हुए दिख रहे हैं। बात चाहे एनडीए की हो या महागठबंधन की, सभी ने अपने मुद्दे तय कर लिए हैं और उसी के आधार पर चुनावी प्रचार किया जा रहा है।

अब जब बिहार में चुनावी तारीखों का ऐलान होने जा रहा है, तो यहां सरल शब्दों में समझ लेते हैं कि आखिर इस राज्य के मुद्दे क्या हैं और पार्टियाँ किन मुद्दों पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही हैं।

बिहार का मुद्दा नंबर 1: SIR

बिहार चुनाव में एसआईआर का मुद्दा पूरी तरह गर्मा चुका है। चुनाव आयोग ने तो पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, फर्जी वोटरों को पहचानने के लिए इस प्रक्रिया को शुरू किया था, लेकिन शुरुआत से ही विवाद बना रहा। महागठबंधन ने इसे अपना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना लिया है।

बात चाहे राजद की हो या फिर कांग्रेस की, वोट चोरी से लेकर गरीबों का वोट काटने तक, चुनाव आयोग पर कई गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं।

बिहार का मुद्दा नंबर 2: घुसपैठिए (Illegal Immigrants)

बिहार चुनाव में एक बड़ा मुद्दा घुसपैठियों का है। बीजेपी ने ही इस मुद्दे को चुनावी मौसम में हवा दी है। यदि महागठबंधन SIR पर निशाना साधकर एक वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहा है, तो बीजेपी भी अवैध बांग्लादेशी और म्यांमार से आए लोगों को घुसपैठिया बता कर बिहार की सुरक्षा का मुद्दा उठा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक ने अपनी हर पब्लिक रैली में इस मुद्दे को छुआ है।

बिहार चुनाव का मुद्दा नंबर 3: कानून व्यवस्था

बिहार के हर चुनाव में कानून व्यवस्था एक बड़ा और गंभीर मुद्दा रहता है। इस चुनाव में भी महागठबंधन ने नीतीश कुमार की सुशासन बाबू वाली छवि को कमजोर करने के लिए कानून व्यवस्था के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। महागठबंधन का कहना है कि नीतीश राज में अब हत्याएं हो रही हैं, अपहरण हो रहे हैं और महिलाएं भी सुरक्षित नहीं हैं।

दूसरी तरफ, एनडीए ने भी कानून व्यवस्था को ही अपना मुद्दा बनाया है, फर्क सिर्फ इतना है कि बीजेपी और जेडीयू लालू राज के “जंगल राज” का जिक्र कर जनता को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि वर्तमान में राज्य की कानून व्यवस्था काफी मजबूत और बेहतर है।

बिहार चुनाव का मुद्दा नंबर 4: बेरोजगारी

बिहार चुनाव में इस बार महागठबंधन बेरोजगारी के मुद्दे को भी प्रमुखता से उठा रहा है। राज्य में बड़े स्तर पर पलायन हो रहा है, ऐसे में महागठबंधन ने 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया है। वहीं दूसरी तरफ, एनडीए कौशल विकास को ज्यादा प्राथमिकता दे रही है। बीजेपी की रणनीति यह है कि कौशल के माध्यम से युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं, ताकि राज्य में पलायन कम हो सके।

बिहार चुनाव का मुद्दा नंबर 5: महिलाएं

बिहार की आधी आबादी पर एक बार फिर एनडीए और महागठबंधन का फोकस है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो चुनावी तारीखों से पहले ही मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की किस्तें जारी कर दी हैं। जानकार मानते हैं कि एंटी इनकंबेंसी के बीच में यही योजना गेम चेंजर साबित हो सकती है। महागठबंधन की बात करें तो वह भी महिला आरक्षण और कानून व्यवस्था को मुद्दा बना कर महिलाओं को अपने पक्ष में करना चाहती है।

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