पूर्व पत्रकार और राजनेता चंदन मित्रा ने​ पिछले हफ्ते भाजपा छोड़ दी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। ये वही तृणमूल कांग्रेस है जिस पर एक बार मित्रा ने बंगाल में ‘आतंक का राज’ चलाने का आरोप लगाया था। चंदन मित्रा ने एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में भाजपा छोड़ने के कई कारण बताए हैं। जबकि उद्देश्य राज्य की बेहतरी के लिए काम करना बताया है।

अपने इंटरव्यू में चंदन मित्रा ने कहा,”मेरा मानना है कि हर किसी को परिस्थितियों के आधार पर अपने विचार बदलने का अधिकार होना चाहिए। इसका सिर्फ एक उद्देश्य है, जो मैंने बीते कुछ सालों में अनुभव किया है, वह है बंगाल की समृद्धि और खुशहाली के लिए काम जारी रखना। इसके लिए आपको सही राजनीतिक रास्ते का चुनाव करना होगा। मैं मानता हूं कि तृणमूल कांग्रेस में शामिल होना वर्तमान में बंगाल की सेवा करने के लिए उपलब्ध सबसे अच्छा रास्ता है। और इसीलिए मैंने काफी सोच—विचार के बाद तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया।

चंदन मित्रा ने इस बात से इंकार किया कि उन्होंने सिर्फ इसलिए भाजपा छोड़ दी क्योंकि उन्हें हाशिए पर डाल दिया गया था। मित्रा ने इंटरव्यू में कहा,”भाजपा ने मुझे बहुत दिया है। उन्होंने मुझे दो बार राज्यसभा का सांसद बनाया था। मुझे कई बार महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी दी गईं थीं। मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। मैं नाराज भी नहीं हूं।”

चंदन मित्रा को गुजरे दौर में तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मुखर विरोधी माना जाता था। साल 2014 में उन्होंने तृणमूल कार्यकर्ताओं को ‘बद से बदतर’ और ‘हुल्लड़बाज’ कहा था। जबकि तृणमूल के शासनकाल हो उन्होंने ‘आतंक का शासन’ करार दिया था। ये सारी बातें मित्रा ने सिलसिलेवार कई ट्वीट करके कहीं थीं।

जुलाई 2017 में लिखे अपने एक लेख में उन्होंने लिखा था कि ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की नीतियों ने राज्य में कट्टरपंथी ताकतों को ताकत दी है। जबकि कमजोरों को हाशिए पर ढकेल दिया है। बीते सोमवार (23 जुलाई) को उन्होंने कहा कि वह भाजपा के नेता होने के नाते सिर्फ पार्टी की लाइन को ही बोल रहे थे। उन बातों को उन्हें आज याद दिलाना उनके साथ अन्याय होगा। काफी गहराई से सोच विचार के बार मैंने अपनी जगह बदली है।