पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वालों को साफ आगाह किया है। उन्होंने रोजा इफ्तारी की दावत में शामिल होने पर सवाल खड़े करने वालों को साफ बता दिया है कि वो इसी दावतों में शामिल होती रहेंगी चाहे ऐसा करना उनके धर्म के खिलाफ ही क्यो ना है। मंगलवार दोपहर एक रैली को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, “पश्चिम बंगाल सबके लिए है। हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, जनजाति, हिंदी भाषी, उर्दू भाषी सब यहां रहते हैं। किसी भी तरह के सांप्रदायिक उकसावे के शिकार नहीं हों। बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां विभिन्न धर्मों के लोग भाईचारे के साथ रहते हैं।” खुद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वो दुर्गा पूजा में शामिल होती हैं तो वहीं इफ्तार पार्टी और क्रिसमस के आधी रात को शुरू होने वाले जश्न में भी हिस्सा लेती हैं। उन्होंने कहा कि,” मैं इफ्तार पार्टी में हिस्सा लेती हूं जिसकी कई लोग आलोचना भी करते हैं लेकिन अगर रोजे में शामिल होना मेरे धर्म के खिलाफ है तो मैं ये बार-बार करूंगी। मुझे फर्क नहीं पड़ता। मेरा ऐसे धर्म में विश्वास नहीं है जो लोगों के बीच में प्यार को बढ़ावा ना दे। मेरे उस धर्म में विश्वास है जो लोगों से प्यार करना सिखाता है। बिना आरएसएस और बीजेपी का नाम लिए उन्होंने कहा कि गुड़ागर्दी की राजनीति में वो विश्वास नहीं करती।
इससे पहले उत्तर प्रदेश में हो रही हालिया घटनाओं पर चिंता जताते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि प्रदेश के अल्पसंख्यक डरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को सभी के लिए काम करना चाहिए और ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ नारे को अक्षरश: लागू किया जाना चाहिए। ममता ने एक बयान में कहा, ‘‘हम उत्तर प्रदेश की हालिया घटनाओं से चिंतित हैं। लोग डरे हुए हैं और कई जाति, नस्ल और धर्म के भेदभाव को लेकर भयभीत हैं। हम सब एक हैं। ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ सिर्फ बोलना नहीं है, करना है। हमें इसे करना है, इसे अर्थपूर्ण बनाना है। सरकार को सभी के लिए होना होता है। हमेंं अपने संविधान की रक्षा करनी होगी तथा वह निर्देशित कर सके ऐसा सुनिश्चित करना होगा।’’ ममता की टिप्पणी मांस विक्रताओं, विशेष रूप से पशुओं के मांस बेचने वालों, की हड़ताल के मद्देनजर आयी है। प्रदेश में अवैध तथा मशीनी बूचड़खानों के खिलाफ चल रही कार्रवाई के विरोध में व्यापारी कल से विरोध कर रहे ह