देश में कोरोनावायरस के बढ़ते खतरों के बीच चुनाव आयोग ने बंगाल चुनाव को लेकर कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं। हालांकि, इसमें टीएमसी की अगले तीन चरणों के मतदान एक साथ कराने की मांगों को नहीं माना गया। ऐसे में सभी दलों ने चुनाव आयोग को आश्वासन दिया कि जैसा वह चाहेगा, वैसा ही होगा। इसके बाद सर्वदलीय मीटिंग खत्म हो गई।

बता दें कि टीएमसी नेता ममता बनर्जी भी पहले ही फैलते कोविड के चलते बाकी तीन चरणों के मतदान एक साथ कराने की मांग कर चुकी थीं। लेकिन आयोग ने कह दिया था कि ऐसा कानूनी रूप से संभव ही नहीं। टीएमसी की मांग मीटिंग के बाद भी कायम रही। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट में गुजारिश की कि तीन दिन का काम एक दिन में करने पर विचार किया जाए। टीएमसी की चिर-प्रतिद्वंदी माकपा ने तीन दिन को एक दिन में बदलने का भारी विरोध किया। उन्होंने विरोध के लिए अपने कारण गिनाए।

चुनाव आयोग ने यह बैठक कलकत्ता हाइकोर्ट के निर्देशों के कारण बुलाई थी। हाइकोर्ट जानना चाहता था कि कोविड-19 के तेज प्रसार के मद्देनजर प्रशासन चुनाव में सबकी सुरक्षा के लिए क्या कर रहा है। बैठक में चले विचार-मंथन के बाद चुनाव आयोग ने कोविड का खतरा कम करने के लिए शाम सात से सुबह दस बजे के बीच रैलियों, जनसभाओं, नुक्कड़ नाटक और नुक्कड़ सभाओं पर रोक लगा दी। मतदान से पूर्व सभा आदि करने पर रोक का समय भी चुनाव आयोग ने 48 घंटे से बढ़ाकर 72 घंटे कर दिया।

बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी की बैठक में भाजपा की नुमाइंदगी स्वपन दासगुप्ता ने की। उन्होंने बाकी का मतदान एक दिन कराने का विरोध किया। बोले कि बदलाव करने की जरूरत ही नहीं।

अंदरूनी जानकारियां रखने वाले भाजपा के एक नेता का कहना है कि बाकी के चरणों में प्रधानमंत्री और दूसरे दिग्गज भाजपाइयों की इतनी बैठकें होनी है कि पार्टी ममता के एक दिन के प्रस्ताव को मान ही नहीं सकती। इस नेता ने कहा कि एक दिन में चुनाव समेटने में अतिरिक्त फोर्स चाहनी होगी। तब राज्य पुलिस का सहयोगं लेना पड़ेगा। पार्टी यही नहीं चाहती। मीटिंग में टीएमसी की ओर से राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने हिस्सा लिया था।