एनआरसी मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विरोध की झंडाबरदार बन गई हैं। उनके तेजतर्रार बयानों के कारण उनके खिलाफ दो एफआईआर भी दर्ज करवाई गई हैं। पहली रिपोर्ट मंगलवार (31 जुलाई) को असम जातीयताबंदी युवा परिषद ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ असम के लखीमपुर सदर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। जबकि ममता बनर्जी पर दूसरी एफआईआर भारतीय जनता युवा मोर्चा ने दर्ज करवाई है। ये एफआईआर असम के डिब्रूगढ़ जिले के नहर​कटिया पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई गई है।

ये दोनों ही एफआईआर केंद्र सरकार के खिलाफ ममता के द्वारा रैली में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण पर दर्ज करवाई गई है। ममता ने इस रैली में आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार एनआरसी के जरिए असम से बंगाल के लोगों को निकालना चाहती है। नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) की लिस्ट में असम में 40 लाख से ज्यादा लोगों के नाम नहीं होने को लेकर बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा था इससे देश में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो जाएगी।

वहीं बुधवार को ममता बनर्जी ने सोनिया और राहुल गांधी समेत छह नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में विपक्ष के संभावित गठबंधन, एनआरसी समेत कई मुद्दों पर नेताओं से बात हुई। तृणमूल सुप्रीमो ने खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर बताया और ‘2019 बीजेपी फिनिस’ का नारा दिया। ममता ने संसद भवन में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पैर छुए और उनके चेंबर में 15 मिनट तक चर्चा की। ममता एनडीए के तीन सांसदों से मिलीं, जिनमें आडवाणी के अलावा शिवसेना के संजय राउत और भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा शामिल हैं।

सोनिया और राहुल गांधी से मिलकर आने के बाद ममता बनर्जी बेहद तल्ख तेवर में दिखाई दीं। उन्होंने साफ कहा,” भाजपा राजनीतिक रूप से घबराई हुई है। वह तनाव में है। हम उनकी बातों का जवाब अपने ढंग से देते हैंं। हम गाली का जवाब गाली से नहीं देते हैं। मैं बीजेपी की नौकर नहीं हूं कि जो वह कहते हैं मैं उस पर सफाई देती फिरूं। आप 40 लाख वोटर को देश से निकाल देंगे। आप देश में शांति चाहते हैं या फिर सिविल वॉर चाहते हैं।”

बता दें कि असम में जारी हुआ एनआरसी का डाटा बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। सिर्फ ममता बनर्जी ही नहीं बल्कि अन्य दल भी इसके खिलाफ बोल रहे हैं और सरकार से उनकी मांग है कि इसका राजनीतिकरण न किया जाए और 40 लाख लोगों के बारे में विचार किया जाए। लिस्ट आने के बाद केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि जिन लोगों के नाम लिस्ट में नहीं हैं वो इसकी शिकायत कर सकते हैं और उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने का मौका मिलेगा।