राजस्थान में विधानसभा के बजट सत्र के खत्म होने के बाद अब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने सरकारी तंत्र को कसने की तैयारी में लग गई हैं। मुख्यमंत्री ने बजट सत्र में खराब कामकाज वाले मंत्रियों के प्रति कड़ा रवैया अपनाने का फैसला किया है। इसके अलावा नौकरशाहों को लेकर बढ़ती शिकायतों पर भी गौर करते हुए प्रशासन और पुलिस के आला स्तर पर बदलाव का फैसला राजे ने कर लिया है। बजट सत्र में भाजपा के विधायकों ने सरकार की बिगड़ती छवि के लिए नौकरशाहों के रवैये के साथ ही मंत्रियों की कार्यशैली को जिम्मेदार ठहराया है।
राज्य में अपने शासन का आधा कार्यकाल पूरा करने वाली भाजपा की वसुंधरा सरकार अब जनता में अपनी छवि सुधार के कार्यक्रमों पर जोर देगी। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने मंत्रियों के कामकाज का विधायकों के साथ ही पार्टी पदाधिकारियों से भी फीडबैक ले रही है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों की कार्यशैली से ज्यादातर विधायक नाखुश है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान हुई विधायक दल की बैठकों में भी मंत्रियों के प्रति नाराजगी उभर कर सामने आई थी।
इसके साथ ही विधानसभा की कार्यवाही के दौरान भी कई मंत्री अपने विभागीय कामकाज में असफल ही साबित हुए। इन मंत्रियों को प्रतिपक्ष के साथ ही भाजपा के विधायकों की नाराजगी का शिकार होना पडा। विपक्ष के बजाय अपने ही विधायकों के सवालों पर मंत्रियों के घिरने से भी मुख्यमंत्री की नाराजगी बढ़ी है। भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी, प्रहलाद गुंजल के अलावा कई विधायकों ने तो साफ तौर पर मंत्रियों की कमियों को उजागर कर दिया।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौड़ से नाराजगी बजट सत्र में उजागर हो गई।
राजे प्रदेश में चिकित्सा और शिक्षा व्यवस्था में सुधार पर खासा जोर दे रही है। प्रदेश में चिकित्सा महकमे में मुख्यमंत्री की उम्मीदों के मुताबिक कोई काम नहीं हो पाया है। इसके साथ ही इस महकमे की नाकामी की वजह से पूरी सरकार की छवि भी आम जनता में बिगड गई है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा को विधायकों ने भी खूब मुददा बनाया। भाजपा सूत्रों का कहना है कि राठौड़ की मुख्यमंत्री से दूरी बनने से ही अब हालत और खराब हो गये है। मंत्रियों के विभागों के फेरबदल की संभावना को देखते हुए नौकरशाही में माना जा रहा है कि राठौड़ से चिकित्सा विभाग छिन लिया जाएगा। इस विभाग के लिए जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी की दावेदारी मजबूती से सामने आई है। मुख्यमंत्री भी चिकित्सा महकमा किसी महिला मंत्री को सौंप कर इसको संवेदनशीलता से चलाने की तैयारी में है।
मुख्यमंत्री ने बजट सत्र के आखिरी दिन विधायकों को फिल्म दिखाने के दौरान नौकरशाही में बदलाव का संकेत भी दिया। विधायकों की शिकायत अपने जिलों के प्रशासन को लेकर ज्यादा है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री जयपुर सहित करीब एक दर्जन जिला कलक्टरों को हटाएगी। जयपुर जिला कलक्टर के अधीन काम करने वाले एक एसडीएम भारत भूषण गोयल को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दो दिन पहले ही घूस लेते हुए गिरफ्तार किया है। जयपुर के भाजपा विधायक जयपुर कलक्टर को भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में ले चुके हैं। प्रदेश में कलक्टरों के तबादलों के साथ ही जिलों के एसपी भी बड़ी संख्या में बदले जाएंगे। भाजपा के विधायकों ने करीब एक दर्जन जिला कलक्टरों के साथ ही कई पुलिस अफसरों की शिकायतें मुख्यमंत्री से की हैं।
मुख्यमंत्री प्रशासन के आला स्तर में चिकित्सा, शिक्षा, उद्योग, नगरीय विकास, वन और खनिज समेत जनता से जुड़े विभागों के प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों को भी बदलेंगी। नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने अपने विभाग के आईएएस अफसरों को बदलने पर जोर दिया है। इसके अलावा मुख्य सचिव सीएस राजन भी कई जिला कलक्टरों और प्रमुख सचिवों के कामकाज से नाराज है। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान में अफसरों की ढिलाई पर मुख्य सचिव कई बार कलक्टरों से नाराजगी जता चुके हैं।