चंपावत विधानसभा उपचुनाव में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। धामी ने कांग्रेस प्रत्याशी को 55,000 से अधिक मतों से हराया है। इससे पहले, साल 2012 में कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहते हुए विजय विजय बहुगुणा ने सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को 39,954 मतों से हराया था।

धामी को 58,258 वोट यानी कुल मतदान का 92.94% वोट मिलने के साथ ही अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस की निर्मला गहतोड़ी को मात्र 3,233 वोट मिले। प्रत्येक राउंड की ईवीएम टैली से पता चलता है कि धामी ने पहले ही राउंड में एक महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर ली थी, जिसे 13वें राउंड तक बनाए रखा। पहले राउंड में कांग्रेस प्रत्याशी गहतोड़ी को 164 वोट मिले, वहीं धामी ने 3,856 वोट हासिल किए। दूसरे राउंड में गहतोड़ी को 148 वोट मिले, धामी को 3,579 वोट मिले। तीसरे राउंड में गहतोड़ी को 113 वोट मिले, धामी 3,182 वोट मिले। चौथे राउंड में गहतोड़ी को मात्र 67 वोट मिले, वहीं धामी 2,598 वोट पा गए। पोस्टल बैलेट में भी ये अंतर कायम रहा। कांग्रेस प्रत्याशी को जहां 86 वोट मिले, वहीं धामी के हिस्से 990 मतपत्र आए।

हाल के विधानसभा चुनाव में चंपावत सीट से कैलाश गहतोड़ी ने दूसरी बात जीते थे। हालांकि, यहां के एक पुराने कांग्रेसी नेता हेमेश खर्कवाल के खिलाफ उनकी जीत का अंतर महज 5,300 वोटों का था। 2017 में कैलाश गहतोड़ी ने खार्कवाल को 17,000 से अधिक मतों से हराया था।

2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इतिहास रचते हुए 70 में से 47 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की थी। लेकिन धामी खटीमा से कांग्रेस प्रत्याशी भुवन चंद्र कापड़ी से हार गए थे। इस हार के बावजूद भाजपा ने उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। 23 मार्च को कार्यभार संभालने के छह महीने के भीतर धामी को विधानसभा के लिए निर्वाचित होना था। धामी के उपचुनाव लड़ने का रास्ता साफ करने के लिए कैलाश गहतोड़ी ने अपनी सीट खाली कर दी थी।

कांग्रेस ने भी धामी के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार न उतारकर भी उनके काम को आसान बना दिया था। निर्मला गहतोड़ी कांग्रेस की पहली पसंद नहीं थी। खर्कवाल द्वारा चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद इसे एक हारी हुई लड़ाई के रूप में देखा जा रहा था। भाजपा ने मान लिया कि कांग्रेस की तरफ से धामी को ‘वाकओवर’ दे दिया गया। हालांकि उपचुनाव से पहले, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि पार्टी यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि धामी की जीत का अंतर बहुत अधिक न हो। अगर उस नजरिए से देखे तब भी ये परिणाम कांग्रेस पार्टी के लिए निराशाजन है।