उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर जीत दर्ज कर सरकार बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। हालांकि, इस चुनाव में सीएम पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट नहीं बचा सके और वे खटीमा से हार गए, जिसके बाद पार्टी के सामने मुख्यमंत्री तय करने को लेकर नई चुनौती है। वहीं, उत्तराखंड से दिल्ली तक बढ़ी राजनीतिक हलचल पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि दौड़ने-भागने से कुछ नहीं होता है, सब लोग इस बात को जानते हैं।
एबीपी न्यूज के रिपोर्टर ने जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पूछा कि उत्तराखंड के कई नेता दिल्ली में चक्कर लगा रहे हैं, क्या खबर आ रही है? इस पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, “चुनाव के बाद अब समय मिला है, तो लोग दिल्ली जा रहे हैं, किसी का निजी काम भी हो सकता है और नेतृत्व से मिलना भी हो सकता है। सब जानते हैं कि हमारे यहां विधानमंडल दल की ओर से ही नेता का चुनाव होता है, मुझे लगता है कि सब लोग जानकार हैं, तो उनको पता है कि दौड़ने-भागने से कुछ हासिल होता नहीं है, फिर भी उनकी इच्छा है।”
क्या उनको अलग-थलग कर दिया गया है या नजरअंदाज किया गया? इस पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, “नहीं, इसे इग्नोरेंस नहीं मानना चाहिए क्योंकि बीजेपी की सरकार ने 5 साल काम किया है, तो आचार संहिता लगने के बाद दो-तीन महीने को छोड़ दिया जाए, फिर भी लगभग 5 साल से कम का समय होता है। जो काम करने का समय होता है, वो चार साढ़े 4 साल का समय होता है। उसके बाद तो चुनाव का हिसाब लगना शुरू हो जाता है।”
पूर्व सीएम ने कहा कि जो भी उपलब्धियां हैं जिनके बल पर हम लोग जनता के बीच गए हैं, वो पूरे पांच साल की हैं। उन्होंने कहा, “भाजपा में ऐसे कई लोग हैं जो इस योग्य हैं कि वे मुख्यमंत्री बन सकते हैं। पार्टी के पास योग्य लोगों की कमी नहीं है और अगर 5-10 दावेदार हैं तो इसमें बुराई कहां है।