Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े प्रोडक्ट्स की बिक्री पर योगी सरकार ने बैन लगा दिया है। अब हलाल सर्टिफाइड खाने-पीने का सामान उत्तर प्रदेश में नहीं बिक सकेगा। यह खाद्य आयुक्त कार्यालय के आदेश के बाद हुआ है। हलाल प्रोडक्ट से जुड़े मामला पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है। लखनऊ के ऐशबाग में मोतीझील कॉलोनी के निवासी शैलेंद्र कुमार शर्मा की शिकायत पर शुक्रवार को हजरतगंज थाने में हलाल प्रोडक्ट से जुड़ा मामला दर्ज किया गया था जिसके बाद यह एक्शन लिया गया है।

मामला दर्ज

बयान के मुताबिक यह मामला आईपीसी की धारा 120 बी, 153ए, 298, 384, 420, 471 और 505 के तहत दर्ज किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बयान में कहा कि चेन्नई स्थित हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली स्थित जमीयत उलमा हिन्द हलाल ट्रस्ट, मुंबई स्थित हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया, मुंबई स्थित जमीयत उलमा महाराष्ट्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट ने आरोपों को निराधार बताया है और कानूनी लड़ाई की बात कही है।

हलाल उत्पाद का क्या मतलब है?

हलाल एक अरबी शब्द है जिसका मतलब है अनुमति योग्य। हलाल सर्टिफाइड का मतलब है कि प्रोडक्ट्स इस्लामी कानून के मुताबिक स्वीकार किया गया हो। हलाल सर्टिफाइड  प्रोडक्ट्स से मुस्लिम उपभोक्ताओं को यह विश्वास हो जाता है कि वे जिन उत्पादों का उपयोग करते हैं वे उनकी संस्कृति और मान्यताओं के मुताबिक है। दुनिया भर में लगभग 2 अरब मुसलमान हैं, जिनमें से लगभग 4 मिलियन लोग अमेरिका में रहते हैं। अमेरिका में बड़े पैमाने पर हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स की बिक्री होती है और यह दुनियाभर में भी पहुंचते हैं। अब हलाल की मांग और ज्यादा बढ़ने लगी है और भारत में भी बड़े पैमाने पर हलाल प्रोडक्ट बेचे जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) हलाल फूड को उस इस्लामी कानून के तहत अनुमति योग्य फूड मानता है।

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक शाकाहारी भोजन को आम तौर पर स्वीकार्य या ‘हलाल’ माना जाएगा जब तक कि उसमें अल्कोहल न हो। इस्लामी कानून के मुताबिक किसी भी आम में लेने योग्य चीज को ‘हलाल’ या ‘हराम’ माना जा सकता है। एफएओ दिशानिर्देश यह भी कहते हैं कि जब कोई दावा किया जाता है कि कोई भोजन हलाल है, तो हलाल शब्द का लेबल उसपर पर दिखाई देना चाहिए।

हलाल सर्टिफाइड का क्या मतलब है?

हलाल सर्टिफाइड इस बात की गारंटी है कि भोजन इस्लामी कानून का पालन करते हुए तैयार किया गया है। भारत में कई निजी कंपनियों द्वारा हलाल प्रमाणीकरण दिया जाता है। हलाल प्रमाणन निकाय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं, जबकि अन्य के पास कोई मान्यता नहीं है।

क्यों बन रहा है मुद्दा?

प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। सीएम इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और पुलिस से बड़ी कार्रवाई करने को कह रहे हैं। अब बताया जा रहा है कि हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े उत्पादों पर प्रतिबंध लग सकता है। इससे पहले वंदे भारत एक्सप्रेस में हलाल चाय से जुड़ा एक मामला सामने आया था जहां कुछ यात्रियों ने सवाल उठाया था कि अगर उत्पाद अगर वेज है तो इसे क्यों हलाल सर्टिफिकेट के साथ बेचा जा रहा है, अगर यह सिर्फ मुसलमानों के लिए जरूरी है तो क्यों दूसरे धर्मों के लोग इसे लेकर बाध्य हों।