उत्तर प्रदेश में एक रिटायर्ड स्कूल प्रिंसिपल की हत्या के लिए आईएस से जुड़े दो लोगों को मौत की सजा दी गई। लखनऊ में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने 2016 में कानपुर में सेवानिवृत्त स्कूल प्रिंसिपल रमेश बाबू शुक्ला की हत्या के लिए गुरुवार को दो लोगों को मौत की सजा सुनाई।

जानकारी के मुताबिक, दोषी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल इस्लामिक स्टेट की विचारधारा से प्रभावित एक समूह के सदस्य थे। दोनों की उम्र 30 वर्ष के बीच थी। अभियोजन पक्ष ने कहा कि दोनों ने प्रिंसिपल शुक्ला को उनकी धार्मिक पहचान के कारण मार डाला।

हाथ में कलावा और माथे पर तिलक देख कर दी थी हत्या

रमेश बाबू शुक्ला को उनकी धार्मिक पहचान के लिए निशाना बनाया गया। एनआईए के विशेष लोक अभियोजक कौशल किशोर शर्मा ने कहा कि जांच के दौरान यह पता चला है कि हमलावरों ने रिटायर्ड प्रिंसिपल की कलाई पर कलावा (पवित्र लाल धागा) और माथे पर तिलक देखने के बाद उनकी हत्या कर दी।

दोनों आतंकियों को मार्च 2017 में भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन विस्फोट मामले में उनकी संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था। ट्रेन विस्फोट मामले में पूछताछ के दौरान शुक्ला की हत्या में उनकी भूमिका सामने आई थी। जांचकर्ताओं ने कहा कि आईएस विचारधारा से प्रभावित दोनों व्यक्ति उन लोगों को मारना चाहते थे जिन्हें वे नॉन-बिलीवर्स मानते थे।

ISIS के दोनों आतंकियों को फांसी की सजा

आठ साल पहले कानपुर में रिटायर्ड प्रिंसिपल रमेश बाबू शुक्ला की हत्या में दोषी आईएसआईएस के आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्रा ने फांसी की सजा सुनाई है। दोनों आतंकियों पर 10 लाख 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दोनों आतंकियों ने स्कूल से बाइक से लौट रहे रमेश बाबू शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी थी। फिलहाल दोनों आरोपी लखनऊ डिस्ट्रिक्ट जेल में हैं।

पीएम मोदी के कार्यक्रम में करना चाहते थे बम विस्फोट

विशेष लोक अभियोजक मिथलेश कुमार सिंह ने कहा कि आतिफ और फैसल ने जांचकर्ताओं को बताया था कि वे 2016 के दशहरा समारोह के दौरान लखनऊ के रामलीला मैदान में बम विस्फोट करना चाहते थे, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे। सिंह ने कहा, “उन्होंने 2016 में रामलीला मैदान में बम लगाने का दावा किया था लेकिन वह फटा नहीं।”

4 सितंबर को एनआईए कोर्ट ने दोनों आतंकियों को हत्या का दोषी ठहराया। गुरुवार को दोषी आतिफ और फैसल वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश हुए। अदालत ने दोनों को मौत की सज़ा सुनाई और उन पर जुर्माना भी लगाया।