उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही यह घोषणा कर दी थी कि वह भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। जो भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसी क्रम में पावर कॉर्पोरेशन ने एक क्लर्क के खिलाफ कार्रवाई की है। क्लर्क ने बिजली बिल के माध्यम से हेराफेरी की थी और उसके बाद पावर कॉरपोरेशन ने जांच में दोषी पाया और फिर कार्रवाई की।

दरअसल राजभवन डिवीजन क्लर्क मनीष गुप्ता ने 14 वर्ष पहले अमीनाबाद में 42 बिजली बिलों में हेराफेरी की थी और करीब 36 लाख 68 हजार रुपए की हेराफेरी की थी। जब पावर कॉर्पोरेशन को इस घोटाले की जानकारी मिली और बिल से जमा हुई रकम का मिलान किया गया तब क्लर्क दोषी पाया गया। कॉर्पोरेशन ने कार्रवाई करते हुए क्लर्क मनीष गुप्ता पर 1 करोड़ 41 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

क्लर्क मनीष गुप्ता की सैलरी करीब 1 लाख 28 हजार रुपए थी, जिसे घटाकर 27 हजार रुपए कर दिया गया है। वहीं जुर्माने की बाकी रकम क्लर्क के पीएफ और ग्रेजुएटी से वसूली जाएगी। जब तक जुर्माने की पूरी रकम वसूल नहीं हो जाती तब तक क्लर्क को महज 27 हजार रुपए ही सैलरी मिलेगी। पावर कॉर्पोरेशन की इस कार्रवाई से प्रदेश के अन्य कर्मचारियों में भी हड़कंप मचा हुआ है। संदेश देने की कोशिश भी की गई है कि अगर भ्रष्टाचार किया तो जुर्माने की रकम भी आप ही से वसूल की जाएगी।

उत्तर प्रदेश को नई सरकार में नया उर्जा मंत्री भी मिला है। आईएएस से वीआरएस लेकर राजनीति में आये अरविन्द कुमार शर्मा को प्रदेश का उर्जा मंत्री बनाया गया है। उर्जा मंत्री ने भी भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात कही है। पद सँभालते ही उर्जा मंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ विभागीय इंजिनियरों द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन पर कहा था कि उनकी बात सुनने के बाद वो इसपर फैसला लेंगे।

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में ही कहा था कि अगर किसी की वजह से सरकारी धन या सामान को नुकसान हुआ तो वसूली भी उसी से की जाएगी।