उत्तर प्रदेश में विधान परिषद चुनाव में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल करके 40 साल पुराना रिकार्ड दोहरा दिया है। पहली बाद किसी दल को सदन में बहुमत मिलने जा रहा है। लेकिन आजमगढ़-मऊ में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। खास बात है कि अपने ही नेता ने पार्टी को चुनाव में हरा दिया। आजमगढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी और भाजपा से निकाले गए एमएलसी यशवंत सिंह के बेटे विक्रांत ने जीत हासिल की है। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की यहां जमानत जब्त हो गई है। भाजपा उम्मीदवार अरुण यादव ने अपनी पार्टी पर भड़क गए।
एमएलसी चुनाव में भाजपा ने फूलपुर के पूर्व विधायक अरुण कुमार यादव को प्रत्याशी बनाया था। लेकिन बीजेपी के ही एमएलसी यशवंत सिंह ने अपने बेटे विक्रांत सिंह को मैदान में उतार दिया। पहले वो बीजेपी से टिकट मांग रहे थे। नहीं मिली तो निर्दलीय ही मैदान में ताल ठोक दी। पहले लग रहा था कि विक्रांत मैदान से हट जाएंगे लेकिन वो आखिर तक नहीं माने।
चुनाव परिणाम आए तो विक्रांत सिंह ने सभी को भौचक कर दिया। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले जीत हासिल की। विक्रांत ने भाजपा उम्मीदवार अरुण यादव को 2813 मतों से हराया। निर्दलीय प्रत्याशी विक्रांत सिंह को कुल 4075 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी अरुण कांत यादव को महज 1262 वोट ही मिले। यहां सपा को भी बड़ा झटका लगा है।
आजमगढ़ को मुलायम परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। कभी वो खुद यहां से सांसद थे तो अब इस सीट से अखिलेश खुद जीते थे। हाल ही में आजमगढ़ संसदीय सीट से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। लेकिन अखिलेश यादव के उम्मीदवार राकेश यादव की जमानत जब्त हो गई है। राकेश यादव को महज 356 वोट मिले। ध्यान रहे कि अखिलेश आजमगढ़ जिले की करहल सीट से जीतकर ही विधानसभा में पहुंचे हैं।
हालांकि, बीजेपी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एमएलसी यशवंत सिंह को पार्टी से 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है। यशवंत सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खास माने जाते रहे हैं। योगी ही उन्हें सपा से बीजेपी में लेकर आए थे। उससे पहले वो मायावती की बसपा के प्रमुख नेता माने जाते थे। उधर, हार के बाद भाजपा उम्मीदवार अरुण यादव ने अपनी पार्टी पर ही सवालों की बौछार कर दी है। उनका कहना था कि अपनों ने ही उन्हें डुबोया। पार्टी यशवंत को तरजीह देती रही।