उत्तर प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ कि जब किसी सीएम ने पांच साल के कार्यकाल को पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता हासिल की हो। योगी आदित्यनाथ सही मायने में बीजेपी के हीरो बनकर उभरे हैं। लेकिन इसके लिए एक सटीक योजना गढ़ी गई जो चुनाव में बीजेपी के पक्ष में परिणाम को लेकर आई।
यूपी की राजनीति में MY समीकरण काफी अहमियत रखता है। ये टर्म सपा के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसमें M का मतलब मुस्लिम से है तो Y का तात्पर्य यादवों से। माना जाता है कि ये दोनों मिलकर सपा को एक बड़ी ताकत बनाते हैं। बीजेपी को ये चीज पता थी कि थोड़ा सा भी हिंदू वोट बैंक छिटका तो मुसीबत हो जाएगी। लिहाजा सपा के MY की काट के लिए बीजेपी ने अपना MY मार्केट में उतारा। इसमें M का मतलब महिला से है तो Y का सरकारी स्कीमों से सरोकार है।
पीएम मोदी और सीएम योगी से लेकर बीजेपी के तमाम नेता अपने भाषणों में इस समीकरण का जिक्र करते भी रहे हैं। दबंग और दंगाई का जिक्र कर वो सपा शासन के दौरान की अराजकता को पटल पर रखते रहे। उनका कहना था कि पांच साल पहले लड़कियां घर से नहीं निकल सकती थीं। अब वो शाम को भी आजादी से घूम सकती हैं। दरअसल ये बातें MY सीमकरण के पहले शब्द का सार थीं। इसके जरिए महिलाओं के वोट पर बीजेपी के तमाम नेता अपना फोकस कर रहे थे।
दूसरे के तहत तमाम नेताओं ने सरकारी योजनाओं के जिक्र में कसर बाकी नहीं रखी। फ्री राशन योजना को योगी ने अप्रैल तक बढ़ाया तो मोदी ने भी मार्च 2022 तक इसे एक्सटेंशन दिया। NEWS18 की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में कई जगहों पर लोगों ने माना कि योगी शासन में कानून व्यवस्था पहले से बेहतर हुई है तो सरकारी स्कीमें जनता तक पहुंच रही हैं। इनमें बात चाहें किसानों को मिलने वाले 6 हजार रुपये की हो या फिर शौचालय या डायरेक्ट मनी ट्रांसफर स्कीम की।
हालांकि, विपक्षी दलों सरकार की इस चाल को बखूबी समझ रहे थे। यही वजह थी कि प्रियंका गांधी ने लड़की हूं लड़ सकती हूं के जरिए आधी आबादी को साधने की कोशिश की। अखिलेश और रालोद के जयंत चौधरी ने भी महिलाओं के लिए आरक्षण की बात कहकर वोटर्स को साधने की कोशिश की। लेकिन नजीते बता रहे हैं कि उनका कोई कार्ड नहीं चला। जबकि सीएम योगी का एक हाथ से विकास और दूसरे हाथ में बुलडोजर का नारा लोगों को खूब भाया। योगी ने मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और आजम खान जैसे माफियाओं का जिक्र कर लोगो को भरमाया। उसमें वो कामयाब भी रही।