विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी समाजवादी पार्टी और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आजम खान और उनके परिवार के पार्टी छोड़ने की अटकलों के बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की चुप्पी कई सारे सवाल खड़े कर रही है। सपा के कई नेता मानते हैं कि अखिलेश यादव को अपनी रणनीति बदलनी होगी और 2024 चुनाव से पहले मतदाताओं तक खुद पहुंचना होगा।

10 अप्रैल को रामपुर के विधायक आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि मुस्लिम वोट के कारण सपा को 111 सीटें मिली। जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में एफआईआर दर्ज की जाती है, तब अखिलेश चुप रहते हैं। वहीं 9 अप्रैल को सपा के संभल से सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने पार्टी पर कथित तौर पर मुसलमानों के लिए काम नहीं करने का आरोप लगाया था।

तमाम आरोपों के बीच अखिलेश यादव की चुप्पी से पार्टी के एक वर्ग को नाराजगी हुई। लेकिन उनके करीबी नेताओं का मानना है कि भाजपा के ध्रुवीकरण की राजनीति को रोकने के लिए और पिछड़े वर्ग – उच्च जाति के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए अखिलेश यादव का यह कदम काफी सूझबूझ भरा है। वहीं पार्टी के कुछ नेताओं ने माना कि विधानसभा चुनावों में हमारी रणनीति नाकामयाब रही और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार पार्टी के सूत्रों ने कहा कि यह कई महीने पहले तय किया गया था कि पार्टी चुनाव से पहले किसी भी मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने के भाजपा के प्रयासों में शामिल नहीं होगी। मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोपों से बचने के लिए पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद आयोजित प्रशिक्षण सत्रों में अपने पदाधिकारियों को समुदाय से संबंधित मुद्दों पर आक्रामक रुख नहीं अपनाने का निर्देश दिया था।

वहीं 14 अप्रैल को मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ने मैनपुरी में सपा नेताओं के साथ बैठक की थी। इस बैठक में मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि कार्यकर्ता एकजुट होकर अखिलेश यादव के साथ खड़े रहें। वहीं समाजवादी पार्टी के अल्पसंख्यक समुदाय के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हमें मुस्लिमों ने खूब समर्थन दिया लेकिन ओबीसी और सवर्ण जातियों के समर्थन की जरूरत है। हमें इस बात को लोगों को बताना होगा कि बीजेपी सामाजिक न्याय को नुकसान पहुंचा रही है।”

वहीं तमाम मुद्दों पर अखिलेश यादव की चुप्पी कई बड़े सवाल खड़े करती है। शिवपाल सिंह यादव के भी पार्टी छोड़ने की अटकलें हैं और लोग ऐसा भी कयास लगा रहे हैं कि अगर ऐसा होता है, तो 2024 लोकसभा चुनाव में यादव वोट भी सपा से छिटक सकता है। इस पूरे घटनाक्रम से सपा नेताओं में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।