इलाहबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के श्री कृष्ण राम जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में आज सुनवाई कर शाही ईदगाह परिसर के सर्वे की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब इस मामले से जुड़ी सभी 16 याचिकाओं पर सुनवाई भी शुरू होने वाली है। अहम पहलू हिन्दू पक्ष के ASI सर्वे मांग की याचिका से जुड़ा है। इस मामले में हिन्दू पक्ष की पैरवी एडवोकेट विष्णु जैन ने की तो वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील महमूद प्राचा थे। हिन्दू पक्ष की ओर से लगातार इस मामले में कई अपीलें की गई हैं और यह मामला इलाहबाद हाईकोर्ट की ओर से सुना जा रहा है।

दोनों पक्षों ने रखी दलील

हिन्दू पक्ष की ओर से दलील दी गई कि मस्जिद के नीचे बहुत से प्रतीक हैं और हिन्दुओ की भावना इससे जुड़ी है। जबकि शाही ईदगाह मस्जिद की ओर से कहा गया कि जब तक प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट का मामला तय नहीं हो जाता है तब तक कोर्ट कमिश्नर की मांग वाली अर्जी तय नहीं हो सकती। इलहाबाद हाईकोर्ट श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट में दलील पेश करते हुए कहा कि ज्ञानवापी केस में भी पहले कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए गए हैं। उसके बाद ही 7(11) की अर्जी डिसाइड हुई थी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के भी कई मामलों का हवाला दिया गया।

विवाद की बात करें तो मथुरा में पूरा मामला शाही ईदगाह मस्जिद की 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है। हिंदू पक्ष का कहना है कि केशवदेव के मंदिर को तोड़ने के बाद यहां टीला बन गया था। 1803 में अंग्रेज मथुरा आए और उन्होंने 1815 में कटरा केशवदेव की जमीन को नीलाम कर दिया। हिंदू पक्ष का कहना है कि इस जमीन को बनारस के राजा पटनीमल ने 1410 रुपये में खरीदा था।

वह इस जमीन पर मंदिर बनाना चाहते थे। दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष का कहना है कि अंग्रेजों ने जिस जमीन की नीलामी की थी उसमें से कुछ हिस्सा मुस्लिम को भी सौंपा था। इसी जमीन को लेकर दोनों पक्षों में विवाद है।