जब उत्तर प्रदेश की राजनीति की बात होती है तो उसमें एक चर्चित नाम उभरकर सामने आता है, वह है ओमप्रकाश राजभर का। ओमप्रकाश राजभर का जीवन काफी संघर्षों में बीता है। ओमप्रकाश राजभर ने खुद एक चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उनके परिवार को काफी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा है और घर चलाने के लिए वह खुद टेंपो भी चलाया करते थे। ओपी राजभर अपनी बगावत के लिए प्रसिद्ध हैं।
सुबह करते थे पढ़ाई और शाम को चलाते थे टेंपो: ओमप्रकाश राजभर ने बताया कि जब उनका परिवार आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहा था, उस समय वह सुबह पढ़ाई करने जाया करते थे और शाम को घर लौटने के बाद टेंपो चलाकर अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करते थे। फिर बाद में ओमप्रकाश राजभर ने कमर्शियल सब्जी बेचने का बिजनेस शुरू किया और वह अपने भाइयों के साथ मिलकर सब्जी बेचने का काम करने लगे
राजभर सब्जी की खेती किया करते थे और रात को खेत से सब्जी तोड़कर साइकिल से मंडी उसे बेंचने जाया करते थे। राजभर गांव के किसानों से अनाज भी खरीदा करते थे और उसे मंडी में बेचा करते थे। धीरे-धीरे राजभर आगे बढ़ते गये और फिर एक वक़्त ऐसा आया जब उनका झुकाव राजनीति की ओर हो गया।
कांशीराम से हुए थे प्रभावित: राजभर के दोस्त के पिता ने राजभर की मुलाकात कांशीराम से करवाई थी और राजभर काशीराम से काफी प्रभावित हुए थे। उसके बाद उन्होंने BS-4 के लिए काम किया। BS-4 के बाद राजभर बीएसपी में भी सक्रिय रहे और 1995 में अपनी पत्नी को उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़वाया लेकिन वो चुनाव हार गईं। 1996 में मायावती ने राजभर को बनारस की कोलअसला सीट से उम्मीदवार बनाया लेकिन राजभर चुनाव हार गए। धीरे-धीरे मायावती से उनके रिश्ते बिगड़ते चले गए। 2002 में उन्होंने बीएसपी को छोड़कर अपना दल ज्वॉइन किया, लेकीन टिकट न मिलने के कारण उन्होंने अपना दल को भी छोड़ दिया।
2017 में पहली बार बने विधायक: 2012 में राजभर की पार्टी मुख़्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के साथ गठबंधन कर मैदान में थी, लेकिन ओम प्रकाश राजभर खुद जहूराबाद सीट से चुनाव हार गयें। सपा की सैयदा फातिमा ने राजभर को हराया था। 2016 में राजभर की मुलाकत अमित शाह से हुई और उनकी पार्टी का बीजेपी से गठबंधन हुआ। फिर राजभर 2017 में अपने साथ अपनी पार्टी के 3 अन्य विधायकों को भी विधानसभा में पहुंचाने में सफल रहें।
फिर 2018 में राजभर और सीएम योगी के बीच रिश्ते बिगड़ने लगें और राजभर प्रदेश सरकार के खिलाफ बयान देने लगें। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान राजभर ने अखिलेश यादव के साथ चुनावी मंच भी साझा किया और 20 मई 2019 को सीएम योगी ने राजभर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। अक्टूबर 2021 में राजभर की मुलाकात सपा प्रमुख अखिलेश यादव से हुई और उनकी पार्टी का सपा के साथ गठबंधन हो गया। 2022 का विधानसभा चुनाव राजभर ने सपा के साथ मिलकर लड़ा और सुभासपा के 6 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे।