Muzaffarnagar School Viral Video: वेस्ट यूपी के मुजफ्फरनगर के एक स्कूल से सामने आया ‘थप्पड़ कांड’ अब करीब-करीब शांत हो चुका है। मुजफ्फरनगर साल 2013 में लोकसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक वजहों से सुर्खियों में आया था, इसके बाद पूरे प्रदेश की राजनीति ही बदल गई। उस समय यूपी के सियासी दलों ने मुजफ्फरनगर कांड के बाद अलग-अलग सियासी रुख अपनाया था लेकिन इस बार मुजफ्फरनगर में बीजेपी, सपा और भारतीय किसानों तीनों की ‘थप्पड कांड’ पर एक तरफ खड़े नजर आ रहे हैं।
क्या है थप्पड कांड?
पिछले दिनों मुजफ्फरनगर के एक स्कूल का वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में स्कूल में पढ़ने वाले एक समुदाय विशेष के बच्चे को क्लास के अन्य बच्चे थप्पड़ मार रहे हैं जबकि एक महिला टीचर चेयर पर बैठकर वीडियो बनाने वाले शख्स से कुछ कहती नजर आ रही है। महिला टीचर का नाम तृप्ता त्यागी है, उनकी टिप्पणी से कुछ लोगों में नाराजगी भी है। हालांकि अच्छी बात ये है कि दोनों ही पक्ष इस मामले को आपसी सहमति से सुलझाने के लिए राजी हो गए और अब मामला बढ़ने से पहले ही खत्म होता नजर आ रहा है।
क्यों भाजपा, सपा और BKU का एक ही स्टैंड?
मीडिया से बातचीत में बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री संजीव बालयान कहते हैं कि इस घटना में कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं है। इस मामले में दोनों पक्षों- प्रिंसिपल तृप्ता त्यागी और छात्र के परिजनों के बीच समझौते के लिए हुई पंचायत में सपा और भारतीय किसान यूनियन के नेता मौजूद थे। दरअसल इसके पीछे की बड़ी वजह इस मामले में त्यागी बिरादरी का जुड़े होने था। यूपी वेस्ट में त्यागी समुदाय सियासत में अच्छी पकड़ रखता है। हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों में त्यागी जाति के लोग हैं।
मुजफ्फरनगर के MP संजीव बालयान ने रविवार दोपहर प्रिंसिपल तृप्ता त्यागी से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि छात्र के गांव के लोगों ने एक बैठक की और इस मुद्दे को “आपसी बातचीत के माध्यम से” हल करने का निर्णय लिया क्योंकि वे सियासी नेताओं का हस्तक्षेप नहीं चाहते थे। सियासी लोगों का एकमात्र काम जाति और सांप्रदायिक आधार पर मतभेद पैदा करना है। बालयान ने कहा कि मैसेज पूरी तरह से क्लियर है। लोग नहीं चाहते कि नेता उनके यहां पर सियासी रोटियां सेकने के लिए आएं। लोगों ने इन नेताओं को आइना दिखा दिया है।
पंचायत में शामिल हुए बीकेयू और सपा के नेता
26 अगस्त को बीकेयू के चीफ नरेश टिकैत, सपा नेता हरेंद्र मलिक और त्यागी भूमिहार ब्राह्मण समाज के मांगे राम त्यागी छात्र के गांव में हुई पंचायत में शामिल थे। इस पंचायत में दोनों पक्ष समझौता करने पर राजी हुए। टिकैत ने कहा कि उन्होंने टीचर को ये भरोसा दिलाया है कि उसके खिलाफ दर्ज की गई FIR वापसी ली जा सकती है।
मेरठ में सपा की जिला इकाई के पूर्व अध्यक्ष राजपाल सिंह ने कहा कि गांव के लोगों ने मिलकर यह तय किया कि वे मसला खुद निपटाएंगे। बुजुर्ग टीचर ने माफी मांग ली है और छात्र के पिता ने कहा कि वो मामला बढ़ाने के मूड में नहीं है लेकिन सियासी नेता अगले चुनाव को देखते हुए कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहते।
मेरठ के किठौर से सपा के विधायक और मुस्लिम त्यागी नेता शाहिद मंजूर ने लोगों को आगाह करते हुए कहा कि नेताओं के एक वर्ग के राजनीतिक मंसूबों से सावधान रहें, जिनकी एकमात्र रुचि समुदायों के बीच दरार पैदा करना है। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी बीजपी इस मामले का इस्तेमाल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों की तरह हथियार बनाकर इस्तेमाल करना चाहती थी लेकिन उन्हें समझ आ गया कि यह उनपर ही भारी पड़ेगा।
टीचर तृप्ता त्यागी के पक्ष में संजीव बालयान ही नहीं बीजेपी की नेता विनिता शारदा इस मामले को सामाजिक विषय बताती हैं और कहती हैं कि किसी को भी इस मामले को सियासी रंग नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें बचपन से ही सिखाया गया है कि गुरु का सम्मान मां की तरह किया जाना चाहिए। टीचर दिव्यांग है। इसमें क्या गलत है कि टीचर ने अपने छात्र को पहाड़ा न याद करने के लिए सजा दी? क्या छात्रों को मदरसे में नहीं पीटा जाता? ये नेता मदरसे का विषय क्यों नहीं उठाते हैं?
बीकेयू के चीफ नरेश टिकैत कहते हैं कि मामला सुलझ गया है। टीचर ने कुछ भी गलत नहीं किया। अपने व्यक्तिगत विचार बताते हुए वे कहते हैं कि टीचर के खिलाफ न तो FIR होनी चाहिए और न ही उसके स्कूल की मान्यता रद्द की जानी चाहिए।
दोनों पक्षों के बीच हुई पंचायत का हिस्सा बने मांगे राम त्यागी कहते हैं कि टीचर सिर्फ बच्चे को अनुशासित करने का प्रयास कर रही थीं। उन्होंने कहा कि वीडियो में एकमात्र हिस्सा जो सच है, वह यह है कि छात्र को सहपाठियों द्वारा थप्पड़ मारा जा रहा है… एक विशेष समुदाय के लिए की गई टिप्पणियों सहित बाकी सब झूठ है। छात्र को थप्पड़ मारने वाले चार में से दो छात्र मुस्लिम समुदाय से हैं। उन्होंने दावा किया कि टीचर तृप्ता त्यागी ने बच्चों से कहा था कि वे लड़के को आराम से मारें ताकि वह अगली बार स्कूल में पूरी तरह से तैयार होकर आएं।
यूपी वेस्ट में त्यागी बिरादरी के कद्दावर नेता ज्ञानेश्वर त्यागी कहते हैं कि जो शिक्षक ने किया उसे जस्टिफाई नहीं किया जा सकता लेकिन ठीक उसी समय कुछ नेता इस मामले को सांप्रयदायिक रंग देने में लगे थे जो निंदनीय है। त्यागी समुदाय के एक अन्य नेता कुलदीप त्यागी कहते हैं कि बीजेपी की विपक्षी पार्टियां इस मामले को बीजेपी पर हमला करने के लिए इस्तेमाल करना चाहती हैं। यूपी वेस्ट कर हर जिले नोएडा, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर से सहारनपुर तक में त्यागी समुदाय के लोगों की संख्या करीब 2 से 2.5 लाख है। त्यागी समुदाय न सिर्फ सियासी रूप से एक्टिव है उसके पास बल्कि धन और बाहुबल की भी कमी नहीं है। शायद इसी वजह से बीजेपी विरोधी दलों ने थप्पड़ मारने की घटना को सांप्रदायिक नफरत की राजनीति की अगली कड़ी बताने की कोशिश की।
क्या बोले RLD चीफ जयंत चौधरी?
जयंत चौधरी ने कहा, “जब मैंने वह क्लिप देखी, तो मुझे एक बुरा शिक्षक दिखाई दिया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीजेपी नेता शिक्षक को न्याय दिलाने की बात कर रहे हैं। वे एक त्यागी को देख रहे हैं। मैं वहां कोई त्यागी नहीं देख रहा हूं, मैं वहां कोई ‘समाज’ नहीं देख रहा हूं। मैं वहां किसी समुदाय को टारगेट नहीं कर रहा हूं, मैं सिर्फ सवाल पूछ रहा हूं – क्या हम अपनी भावी पीढ़ियों के साथ इसी तरह व्यवहार करना चाहते हैं? क्या हम छह, सात या आठ साल की उम्र में उनकी मासूमियत छीन लेना चाहते हैं?”
2013 मुजफ्फरनगर कांड से हुआ रालोद को नुकसान
मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के बाद रालोद का वोट बेस बिगड़ गया था। जाट और मुस्लिम समुदाय आमने-सामने आ गए थे। इसके बाद यूपी वेस्ट में बीजेपी बड़ी ताकत बनकर उभरी। हालांकि 2022 में सपा के साथ गठबंधन के बाद रालोद मुस्लिमों में विश्वास बनाने की लगातार कोशिश कर रही है और यूपी वेस्ट में भाईचारे की बातें कर रही है।
क्यों गिरफ्तार नहीं हुई आरोपी टीचर?
आरोपी टीचर तृप्ता त्यागी के खिलाफ IPC की धारा 323, 504 के तहत मामला दर्ज किया गया था। ये दोनों ही धाराएं जमानतीय अपराध के तहत आती हैं। इसीलिए पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया। तृप्ता त्यागी नेहा पब्लिक स्कूल चलाती हैं। उन्हें कहा गया है कि वो जांच पूरी होने तक स्कूल बंद रखें।
क्या बोले पीड़िता छात्र के पिता?
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बच्चे के पिता ने कहा कि वो टीचर के खिलाफ कोई एक्शन नहीं चाहते लेकिन वो ‘चर्चा का केंद्र’ होने की वजह से डरे हुए हैं। उन्होंने कहा, “मेरा परिवार और मैं भविष्य को लेकर डरे हुए हैं। मैं खेत में काम करने वाला मजदूर हूं। मैं नहीं चाहता कि तृप्ता मैडम की गिरफ्तारी हो या फिर उन्हें दंड दिया जाए। मेरा बेटा और उसका चचेरा भाई वहां सालों से पढ़ रहे हैं। हम सिर्फ उनसे माफी और वजह जानना चाहते थे। हमें इस गांव में कभी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा लेकिन अब सभी इस बारे में बात कर रहे हैं।
क्या बोले गांव के मुखिया?
इंडियन एक्सप्रेस की मौजूदगी में गांव के मुखिया नरेंद्र त्यागी ने पीड़ित लड़के के पिता से कहा, “अब इस ड्रामे को बंद करो। हमें इस गांव में मीडिया नहीं चाहिए। मैं चाहता हूं कि तुम पुलिस स्टेशन जाओ और कहो कि तुम FIR नहीं चाहते हो… वरना तुम्हें परिणाम भुगतना ही पड़ेगा।”
