स्वतंत्रता दिवस पर उत्तर प्रदेश में पहली बार मदरसों में वीडियोग्राफी कराये जाने के आदेश पर मुस्लिम उलेमाओं की मिली जुली प्रतिक्रिया आयी है। एक ओर जहां कुछ उलेमाओ का कहना है कि इससे पारदर्शिता और विश्वास पैदा होगा वहीं दूसरी ओर कुछ का मानना है कि इससे मुस्लिम समाज की राष्ट्रभक्ति को संदेह की नजरों से देखा जा रहा है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा था कि सभी मदरसों को निर्देश दिये गये हैं कि वे स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनायें और इस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी करवायें। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने पीटीआई से कहा, ”उत्तर प्रदेश सरकार ने यदि यह आदेश और दिशानिर्देश सभी स्कूल, कालेज और शैक्षणिक संस्थानो के बारे में जारी किये होते तो हमें कोई विरोध नहीं था। लेकिन अगर यह आदेश सिर्फ मदरसों के लिये है तो इसका मतलब यह है कि हमारी राष्ट्रभक्ति को संदेह की नजरों से देखा जा रहा है।”
वहीं दूसरी ओर शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता यासूब अब्बास का कहना है कि स्वंतत्रता दिवस समारोह की फोटो लेने या वीडियोग्राफी कराने में कोई आपत्ति नहीं है। इससे पारर्दिशता और विश्वास बढ़ेगा, इसके साथ ही मुस्लिम समाज के बारे में जो संदेह लोगों के जहन में है वह भी खत्म हो जायेंगे। वैसे हमारा मानना है कि यह आदेश अन्य धर्मों के शिक्षण संस्थानों पर भी लागू होना चाहिये। मदरसों की देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में महत्तवपूर्ण भूमिका रही है। उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की नेता रूमाना सिद्दीकी ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जब देश में हर संस्थान स्वतंत्रता दिवस पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाता है तो फिर मदरसे इस मामले में पीछे क्यों रहें। यदि कान्वेंट और मिशनरी स्कूल स्वतंत्रता दिवस के पर्व पर अनेक कार्यक्रम आयोजित करके इसे जोश के साथ मनाते हैं तो फिर मदरसे ऐसा क्यों न करें।
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री बलदेव औलख ने चेतावनी दी है कि जो मदरसे स्वतंत्रता दिवस मनाने के इस आदेश को नहीं मानेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा, ”हमने मदरसों से स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी कराने को कहा है, हम मदरसों का औचक निरीक्षण करेंगे कि कौन-कौन से मदरसे स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम मना रहे हैं और कौन नहीं। यदि र्कोइ मदरसा ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। उत्तर प्रदेश में इस समय करीब आठ हजार मदरसों को उप्र मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता मिली हुई है तथा इसमें से 560 मदरसों को सरकार से पूरी तरह से आर्थिक सहायता भी मिलती है।