बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी में मिली करारी हार के बाद रविवार को समीक्षा बैठक की। इस बैठक के दौरान मायावती ने कहा कि उनका राष्ट्रपति पद में कोई रूचि नहीं है। ये बीजेपी का फैलाया हुआ जाल था। उन्होंने कहा कि वो कांशीराम की शिष्य हैं। कांशीराम को भी ऐसा ही प्रस्ताव मिला था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने जोर देकर कहा कि वह किसी भी पार्टी से राष्ट्रपति पद के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस ने झूठा प्रचार किया था कि अगर भाजपा उत्तर प्रदेश में सत्ता में आती है तो उन्हें “राष्ट्रपति बनाया जाएगा”। इससे उनके समर्थक गुमराह हो गए और बीजेपी के वोट दे आए।
शर्मनाक हार की समीक्षा करने के बाद एक बयान में मायावती ने कहा कि वो कांशीराम की पक्की शिष्या हैं, उन्होंने भी इस पद से इनकार कर दिया था। बसपा सुप्रीमो ने कहा- “मैं इस तरह के पद को कैसे स्वीकार कर सकती हूं, जब हम जानते हैं कि इससे हमारी पार्टी का अंत होगा। इसलिए मैं बसपा के प्रत्येक पदाधिकारी को स्पष्ट करना चाहती हूं कि हमारी पार्टी के हित में, मैं किसी भी ऐसे प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करूंगी”।
बसपा प्रमुख ने कहा कि वह अपने जीवन का हर पल देश भर में पार्टी को मजबूत करने में बिताएंगी। इस दौरान उन्होंने अपने सदस्यों से निराश न होने की भी अपील की। उन्होंने कहा- “इस चुनाव में बीजेपी ने सोची-समझी रणनीति और षडयंत्र के जरिए, आरएसएस के साथ मिलकर हमारे लोगों के बीच झूठा प्रचार किया है कि अगर यूपी में बसपा की सरकार नहीं बनी तो हम आपकी ‘बहनजी’ को देश का राष्ट्रपति बना देंगे। इसलिए आपको बीजेपी को सत्ता में आने देना चाहिए।”
बता दें कि हाल ही में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को 403 में से केवल एक सीट मिली थी। जबकि 2017 में उसे 19 सीटें मिली थीं। वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। उनके कार्यकाल के समाप्त होने से पहले इस पद के लिए चुनाव होना है।