उत्तर प्रदेश के ‘समाजवादी’ कुनबे में उठापटक को नया मोड़ देते हुए पार्टी का ‘युवा जोश’ शनिवार (17 सितंबर) को सड़कों पर उतर आया। परिवार में तल्खी की धुरी बने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा काबीना मंत्री शिवपाल यादव के समर्थकों ने परस्पर बगावत का सूर फूंकते हुए पार्टी मुख्यालय के बाहर अपने-अपने नेता के पक्ष में नारेबाजी की। पल-पल बदलते घटनाक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश ने अपने समर्थकों से शिवपाल को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाने के नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के निर्णय के खिलाफ शुरू हुआ यह आंदोलन बंद करने का आग्रह किया, वहीं मुलायम ने हंगामा करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं की जमकर क्लास लेते हुए उन्हें अनुशासन का पाठ पढ़ाया।

सपा के चारों युवा संगठनों सपा छात्रसभा, लोहिया वाहिनी, युवजन सभा और यूथ ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने सपा मुख्यालय के सामने शिवपाल को हटाकर अखिलेश को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर वापस लाने की मांग करते हुए नारेबाजी की। उनका कहना था कि वे अखिलेश के सिवा किसी के साथ काम नहीं करना चाहते। अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने से युवा दुखी और हताश हैं, यहां तक कि वह उनके पक्ष में आत्मदाह भी कर सकते हैं।

नाराज अखिलेश समर्थकों ने सपा मुखिया के खिलाफ भी नारेबाजी की। इस दौरान, कार्यकर्ताओं के बीच हल्की धक्का-मुक्की भी हुई। इस बीच, शिवपाल के समर्थकों ने भी पार्टी मुख्यालय पर पहुंचकर उनके पक्ष में नारेबाजी की। करीब तीन घंटे तक सपा राज्य मुख्यालय से लेकर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के आवास के सामने सड़क पर परस्पर विरोधी समर्थकों का कब्जा रहा। हालात बिगड़ते देख सपा मुखिया ने शिवपाल से मुलाकात और अखिलेश से टेलीफोन पर बात की। इसके अलावा अखिलेश भी शिवपाल के घर ‘चाय पीने’ पहुंचे। देर शाम इन तीनों नेताओं ने एक साथ बैठक भी की।

समूचे घटनाक्रम के दौरान अखिलेश ने शिवपाल को सहकारिता और राजस्व मंत्रालय लौटाने तथा चिकित्सा शिक्षा, आयुष और लघु सिंचाई विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी देने का पत्र राजभवन भेजा, लेकिन लोकनिर्माण जैसा महत्वपूर्ण विभाग उन्होंने अपने पास ही रखा। इस बीच, यह भी खबर आई कि सपा मुखिया ने अहं का टकराव रोकने के लिए अखिलेश को राज्य संसदीय बोर्ड और चुनाव टिकट वितरण समिति का अध्यक्ष बना दिया। बहरहाल, शाम तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी।

इसके पहले, सपा मुख्यालय के सामने से हटाए जाने के बाद बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री अखिलेश के समर्थक उनके सरकारी आवास पर पहुंच गए। मुख्यमंत्री ने उन्हें अंदर बुलाकर कहा कि शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाना नेताजी (मुलायम) का फैसला है। इसके खिलाफ आंदोलन खत्म होना चाहिए। वह उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं लेकिन पार्टी में एकता बनाये रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अखिलेश ने शिवपाल से उनके घर जाकर मुलाकात करने के बाद अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेंस में कहा ‘मैं अभी खुद प्रदेश अध्यक्ष (शिवपाल) को बधाई देकर आया हूं। हम आगामी विधानसभा चुनाव में बूथ स्तर तक जीतने के लिए काम करेंगे। मेरी तरफ से उन्हें पूरा सहयोग मिलेगा।’

टिकट बंटवारे में अपनी बड़ी भूमिका की मांग पर अखिलेश ने फिर कहा ‘परीक्षा मेरी होने जा रही है। कम से कम यह तो होना चाहिए कि मैं किसको चाहता हूं।’ घर की जंग को सड़क पर लाने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं से बेहद नाराज सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को सपा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे उनके समर्थकों को कड़ी फटकार लगाई और उन्हें अनुशासन में रहने की सख्त हिदायत दी। कार्यकर्ताओं के हंगामे के बाद पार्टी कार्यालय पहुंचे मुलायम ने उनकी जम कर क्लास ली। उन्होंने हंगामा करने वाले कार्यकर्ताओं को फटकारते हुए उन्हें पार्टी के प्रति शिवपाल के योगदान की याद दिलायी।

सूत्रों के मुताबिक सपा मुखिया ने कहा कि उन्होंने अपने खून-पसीने से पार्टी को सींचा है और दल को मजबूत करने में शिवपाल का महत्वपूर्ण योगदान है। पार्टी कार्यकर्ताओं को डपटते हुए उन्होंने कहा कि वे यहां तमाशा करने आये हैं मगर ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि मुलायम ने अखिलेश द्वारा शिवपाल से महत्वपूर्ण विभाग छीने जाने पर नाराजगी भी जाहिर की। इस दौरान मीडिया को सभाकक्ष से बाहर रखा गया। संवाददाताओं को आश्वासन दिया गया कि सपा मुखिया बाद में दूसरे कक्ष में उन्हें सम्बोधित करेंगे। पत्रकार कई घंटों तक उनका इंतजार करते रहे, मगर मुलायम नहीं पहुंचे।

मालूम हो कि गत 13 सितम्बर को शिवपाल के करीबी माने जाने वाले आईएएस अफसर दीपक सिंघल को हटाये जाने के बाद सपा मुखिया ने अखिलेश को सपा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर उनकी जगह वरिष्ठ काबीना मंत्री शिवपाल को बैठा दिया गया था। इससे नाराज अखिलेश ने शिवपाल से लोकनिर्माण, राजस्व और सहकारिता जैसे महत्वपूर्ण विभाग छीन लिए थे। विवाद बढ़ने के बाद सपा मुखिया ने कल शिवपाल और अखिलेश से मुलाकात की थी। उन्होंने पार्टी मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं से कहा था कि परिवार में कोई विवाद नहीं है। उसके बाद देर रात अखिलेश ने शिवपाल को उनसे छीने गये सभी विभाग वापस करने का एलान किया था।