उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जिलावार रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इसकी शुरुआत उन्‍होंने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से की। 2017 में होने वाले चुनाव के लिए उन्‍होंने स्‍थानीय नेताओं से मुलाकात की। इसमें पहली बार वह काफी आक्रामक दिखे। उन्‍होंने नेताओं को साफ कह दिया कि अगर वे उनका दिया गया टास्‍क पूरा नहीं करते हैं तो टिकट पाने की बात भूल जाएं। किशोर ने टिकट की इच्‍छा रखने वाले नेताओं से कहा है कि वे अपने-अपने क्षेत्र से 20 समर्पित कार्यकर्ताओं के नाम दें। उन्‍होंने बताया कि वाराणसी के कई विधानसभा क्षेत्र ऐस हैं जहां से नेताओं ने एक भी कार्यकर्ता का नाम नहीं भेजा है।

प्रशांत किशोर ने नेताओं को चेतावनी दी कि वह खुद यह सुनिश्चित कराएंगे कि उनके द्वारा दिया गया टास्‍क पूरा नहीं करने वाले नेताओं की उम्‍मीदवारी की दावेदारी आगे नहीं बढ़ सके। उन्‍होंने कहा कि ऐसे नेताओं की कोई दलील हाईकमान द्वारा नहीं सुनी जाएगी। किशेार ने नेताओं को बताया कि यूपी कांग्रेस कमेटी जल्‍द ही एक आदेश जारी करने जाा रही है, जिसमें साफ लिखा होगा कि टिकट चाहने वाले नेता अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से 250 कार्यकर्ताओं के नाम भेजें। हर सीट से कम से कम 8-10 नेता टिकट के दावेदार हैं, पर किशार ने साफ किया कि कार्यकर्ताओं की सूची भेजने वाले नेताओं की दावेदारी पर ही विचार किया जाएगा।

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प्रशांत किशोर के पास जो रिपोर्ट पहुंची है, उसका हवाला देते हुए उन्‍होंने कहा- वाराणसी के अजगाड़ा और शिवपुरी विधानसभा क्षेत्रों से एक भी कार्यकर्ता का नाम नहीं आया है। उन्‍होंने जिला अध्‍यक्ष को कहा कि वे सुनिश्चित करें कि इन क्षेत्रों से कम से कम 20-20 नाम जरूर आएं। प्रशांत किशोर ने बैठक में नेताओं को कांग्रेस द्वारा पूर्व के चुनाव में की गई गलतियों के बारे में भी बताया। उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस ने उम्‍मीदवारों और उन क्षेत्रों, जहां वह पहले से मजबूत है, को लेकर रणनीति बनाने में हमेशा गलती की।

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उन्‍होंने कहा कि आपकी जीत सुनिश्चित कराने के लिए मेरे पास कोई चमत्‍कारिक उपाय नहीं है, उसके लिए आपको जमीनी स्‍तर पर गंभीरता से काम करना होगा। जब नेताओं ने कहा कि पार्टी के अंदर गुटबाजी है तो किशोर ने कहा कि यह 20 साल पहले भी थी और आगे भी रहेगी। जब अलग-अलग मत वाले लोग पार्टी में होंगे तो मतभिन्‍नता स्‍वाभाविक है, पर इसका बहाना बना कर काम नहीं करने को जायज नहीं ठहराया जा सकता। प्रशांत किशोर ने कुश्‍ती का उदाहरण देकर नेताओं को इसका महत्‍व समझााया। उन्‍होंने कहा कि कुश्‍ती में जीतने और दूध पीने का कोई सीधा संबंध नहीं है। पर कुश्‍ती जीतने के लिए शरीर का मजबूत होना जरूरी है और शरीर की मजबूती के लिए दूध पीना।

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