‘नोटों की माला’ वाली टिप्पणी पर भडकीं मायावती ने सोमवार (14 नवंबर) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि दलित की बेटी नोटों की माला पहने, ये उन्हें हजम नहीं होता। मोदी खुद अपने गिरेबान में झांकें कि कितने दूध के धुले हैं। मायावती ने मोदी की गाजीपुर रैली के तुरंत बाद बुलायी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि रैली बुरी तरह ‘फ्लॉप’ रही। भारी मात्रा में काला धन इस रैली के जरिए खपाया गया है। लोगों को ढाई ढाई सौ रुपए देकर बुलाया गया। रेल और बसों का किराया नहीं लिया गया। रैली में ज्यादातर बिहार के लोग लाए गए थे। उन्होंने कहा, ‘अपने गिरेबान में झांककर क्या मोदी इसका जवाब देंगे कि वे कितने दूध के धुले हैं। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के मामले में आप कितने साफ सुथरे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान बंटाने के लिए मोदी विरोधी पार्टियों पर अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं जो निन्दनीय है। नीतिगत आधार पर आरोप लगें तो ठीक है लेकिन व्यक्तिगत आरोप नहीं लगने चाहिए। एक दलित की बेटी को नोटों की माला पहनायी जाए, इनके गले के नीचे नहीं उतरता।’ मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठकर इतनी ‘छिछोरी’ बात करेंगे तो समझ सकते हैं कि दलितों के मामले में इनकी (मोदी) सोच बदली नहीं है। उन्होंने सफाई दी कि बसपा के लोग अपनी नेता को काली कमाई के नोट से नहीं बल्कि खून पसीने की कमाई का थोड़ा-थोड़ा धन एकत्र कर तब नोटों की माला पहनाकर अपनी नेता का स्वागत करते हैं। ये किसी से छिपा नहीं है।

मायावती ने कहा कि मायावती को नोटों की माला पहनायी जाए ये इन्हें (मोदी और भाजपा) हजम नहीं हो रहा है। उत्तर प्रदेश में 2010 के दौरान एक रैली में मायावती को बसपा कार्यकर्ताओं ने नोटों की विशालकाय माला पहनाकर स्वागत किया था। उस समय वह राज्य की मुख्यमंत्री थीं। मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री ने गाजीपुर में पूरे भाषण के दौरान जो भी कहा, ‘थोथा चना बाजे घना’ की तरह था। मोदी कहते हैं कि काली कमाई का आजादी के बाद से अब तक का हिसाब लेंगे, अच्छी बात है लेकिन काला धन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की आड में देश के करोड़ों आम लोगों को खुले आसमान के नीचे खड़ा होने पर मजबूर किया गया। इस भयावह स्थिति की किसी ने कल्पना नहीं की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र की भाजपा सरकार ने महाभ्रष्टाचारी ललित मोदी और विजय माल्या को देश से भगा दिया और 66 हजार करोड रुपए के काले धन को सफेद करा दिया। पांच सौ और हजार के नोट पर पाबंदी लगाकर देश के गरीबों, मजदूरों किसानों, कर्मचारियों, महिलाओं, बच्चों और मरीजों को भारी मुसीबत में डालकर घंटों खुले आसमान के नीचे खड़ा करवा कर गलत किया। ‘देश की आम जनता को ऐसी कड़ी सजा क्यों।’

मायावती ने कहा कि देश की समस्त आर्थिक गतिविधियां बंद हो गयी हैं। ‘भारत बंद’ जैसी स्थिति बन गयी है। अच्छे दिन की उम्मीद लगाये बैठे करोडों लोगों को काफी बुरे दिनों का सामना करना पड़ रहा है। ‘अब ये सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि केन्द्र की भाजपा सरकार को इतने अपरिपक्व तरीके से जन साधारण को प्रभावित करने वाला जल्दबाजी भरा फैसला करने की क्या जरूरत थी।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि कोई जल्दबाजी नहीं की गयी है। दस महीने से तैयारी चल रही थी लेकिन अगर दस महीने की तैयारी होती तो आज जो देश में हाल है, लोगों को हजार दो हजार रूपये भी नहीं मिल रहे। एटीएम मशीनें खराब हैं। बैंकों से पैसा नहीं मिल रहा है। मायावती ने कहा कि मोदी सरकार ने ढाई साल में चुनावी वायदे का एक चौथाई कार्य भी नहीं किया है। ‘मोदी बताएं कि पूर्वांचल के विकास के लिए क्या किया। उत्तर प्रदेश की जनता के लिए क्या किया। पूर्वांचल अलग राज्य बनना चाहिए। बसपा सरकार ने चार राज्यों बुंदेलखंड, पूर्वांचल, पश्चिमी प्रदेश और अवध के गठन की सिफारिश की थी।’