इलाहाबाद में भारतीय जनता पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में उत्‍तर प्रदेश चुनाव ही मुख्‍य एजेंडा रहा। कार्यकारिणी के बाद भी पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने अलग से एक बैठक की। इसमें यूपी के तीन सांसदों को छोड़ कर अन्‍य 68 सांसद शामिल थे। तीन घंटे की बैठक में शाह ने इन सभी के साथ चुनावी प्‍लान बनाया और इन्‍हें डिनर भी कराया। बैठक में तय हुआ कि पार्टी राज्‍य में जमीन से जुड़कर काम करेगी। इस दौरान विरोधी पार्टियों के प्रचार पर भी भाजपा की नजर रहेगी। प्‍लान को अंजाम तक पहुंचाने में सासंदों की अहम भागीदारी रहेगी। भाजपा का कहना है कि वह प्रचार की स्थिति जांचने के लिए हर चार महीने में सर्वे और समीक्षा कराएगी।

अमित शाह ने जो खाका तैयार किया, उसे मूर्त रूप देने में पार्टी के सांसदों का अहम रोल होगा। उनके रोल का मूल्‍यांकन पार्टी के बड़े नेता लगातार करते रहेंगे। पार्टी का मानना है कि अपने संसदीय क्षेत्र में सांसद का प्रदर्शन और केन्‍द्रीय योजनाओं को लागू करने से वोटर पर असर पड़ता है। चुनावों में आरएसएस की भूमिका सलाह देने तक ही सीमित नहीं रखने पर भी बात हुई। संघ इन चुनावों में असम चुनाव की तरह ही एक्टिव रहेगा, ताकि असम की जीत को यूपी में भी दोहराया जा सके।

बैठक में वाराणसी से सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी हिस्‍सा लेना था, लेकिन आखिरी समय पर कार्यक्रम में बदलाव के चलते वे परेड ग्राउंड पर रैली को संबोधित करने के बाद दिल्‍ली लौट गए। लखनऊ से सांसद व होम मिनिस्‍टर राजनाथ सिंह भी दिल्‍ली लौट गए। इनके अलावा एक और सांसद मीटिंग से गैरहाजिर रहे। वह थे शामली से सांसद हुकुम सिंह। सिंह को क्षेत्र में ही रह कर कैराना में पलायन के मुद्दे को धार देने के मकसद से इलाहाबाद नहीं आने की छूट दी गई थी।

READ MORE: अमित शाह की दी गई Mail ID पर NSUI ने की केंद्रीय मंत्री के घर की शिकायत, भाजपाइयों से झगड़ा

उत्‍तर प्रदेश से भाजपा के 68 सांसदों के अलावा आरएसस से आए पार्टी के संगठन महासचिव राम लाल, संघ के दूसरे सबसे बड़े नेता कृष्ण गोपाल भी बैठक में शामिल रहे। राज्‍य में अगले साल मार्च में चुनाव होने हैं, ऐसे में भाजपा के पास कम से कम दो समीक्षा करने का मौका है। बैठक में पार्टी ने यह महसूस किया कि सर्वे के जरिए चुनाव प्रचार की जमीनी सच्‍चाई पता चलेगी और राजनैतिक विरोधियों की कमजोरी का भी खुलासा होगा।