उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट में राज्य के दो करोड से किसानों का एक लाख रूपये तक का फसली कर्ज माफ करने का महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सरकार इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र के वादें से जोड़ कर बता रही है तो वहीं विपक्ष ने इस पर सवाल खड़े किए हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट करके सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। अखिलेश ने ट्वीट करके लिखा कि सरकार के एक लाख की सीमा बांधने पर किसान ठगा सा महसूस कर रहे हैं। वादा पूर्ण कार्ज माफी का था। इससे पहले मंगलवार को लिए गए सरकार के इस फैसले से प्रदेश  के राजकोष पर 36359 करोड रूपये का बोझ आएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में राज्य के किसानों के हित में ये बडा फैसला किया गया जो विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा के लोक कल्याण संकल्प पत्र में प्रमुख मुद्दा था।

 


कैबिनेट बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह हमारे संकल्प पत्र का हिस्सा है। प्रधानमंत्री नरेन््रद मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी चुनाव के दौरान ऐलान किया था कि भाजपा की सरकार बनने पर पहली कैबिनेट बैठक में ही लघु एवं सीमांत किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा।’’
सिंह ने कहा कि लघु एवं सीमांत किसानों के विषय में जो महत्वपूर्ण निर्णय कैबिनेट ने किया है, वह फसली रिण से संबंधित है। गत वर्ष सूखा पडा, ओलावृष्टि हुई और बाढ आयी जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ। ‘‘उत्तर प्रदेश में लगभग दो करोड 30 लाख किसान हैं, जिनमें से 92. 5 प्रतिशत यानी 2. 15 करोड लघु एवं सीमांत किसान हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘….उनका रिण माफ किया गया है। कुल 30, 729 करोड रूपये का कर्ज माफ किया गया है क्योेंकि ये किसान बडा रिण नहीं लेते इसी अंदाज से एक लाख रूपये तक का रिण उनके खाते से माफ किया जाएगा।’’

सिंह ने कहा कि साथ ही सात लाख किसान और हैं, जिन्होंने कर्ज लिया था और उसका भुगतान नहीं कर सके, जिससे वह रिण गैर निष्पादित आस्तियां :एनपीए: बन गया और उन्हें कर्ज मिलना बंद हो गया। ऐसे किसानों को भी मुख्य धारा में लाने के लिए उनके कर्ज का 5630 करोड रूपये माफ किया गया है। ‘‘इस तरह कुल मिलाकर किसानों का 36, 359 करोड़ रूपये का कर्ज माफ किया गया है।’’