पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले सात सितंबर को बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की चार बार की मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने ब्राह्मणों को लुभाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किये थे। वह खुद इन कार्यक्रमों में शामिल हुईं थीं। 10 मार्च 2022 को जब यूपी विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हुए, तो बीएसपी को सिर्फ एक सीट हासिल हुई और पार्टी ने 12.8% वोट हासिल किए।
मायावती ने तब बसपा की इस हार का कारण राज्य में ध्रुवीकरण के कारण पार्टी छोड़ने वाले मुसलमानों को बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी ने इससे सबक सीखा है और अपनी रणनीति बदलेगी। मायावती और उनकी पार्टी ने अब तक मुसलमानों से संबंधित मुद्दों पर 21 बार बयान दिए हैं। चुनाव से पहले छह महीने की अवधि में उन्होंने मुस्लिम समुदाय से संबंधित मुद्दों को सिर्फ आठ बार उठाया था। यहां तक कि उन्होंने राज्य में ब्राह्मणों के बारे में कई बयान दिए थे।
बसपा सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि चुनाव के ठीक बाद मायावती ने इस बात को समझा कि मुसलमानों ने वास्तव में पार्टी छोड़ दी है। उन्होंने कहा कि पहला प्रयास उन्हें पार्टी में वापस लाने का है। यही कारण है कि पार्टी अब सक्रिय रूप से समुदाय और उनसे संबंधित मुद्दों के साथ अधिक सक्रिय तरीके से जुड़ रही है।
बसपा प्रवक्ता धर्मवीर चौधरी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मुसलमानों को पिछले चुनावों में गुमराह किया गया और अब वे अपनी गलती का एहसास होने के बाद बसपा की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी उनका समर्थन हासिल करने के लिए संगठनात्मक स्तर पर कई प्रयास कर रही है।
धर्मवीर चौधरी ने कहा, “आजमगढ़ उपचुनाव देखिए। सपा जो खुद को मुसलमानों के बारे में चिंतित पार्टी बताती है, उसने अपने उम्मीदवार के रूप में एक (मुलायम सिंह यादव) परिवार के सदस्य को मैदान में उतारा। केवल हमने एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा। हालांकि हम हार गए लेकिन हमें करीब 30% वोट मिले। अब मुसलमान कह रहे हैं कि अगर उन्होंने हमें ज्यादा संख्या में वोट किया होता तो बीजेपी आजमगढ़ हार जाती।”
यूपी विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद 11 मार्च को मायावती ने कहा कि मुसलमानों ने बसपा को छोड़ दिया। उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि अगर मुस्लिम वोट दलित वोटों के साथ आए, जैसा कि टीएमसी (पश्चिम बंगाल में) के साथ गठबंधन करके हुआ था, जहां बीजेपी की हार हुई तो यहां (यूपी में) इसी तरह के नतीजे हासिल हुए होते।”
मार्च में आजमगढ़ उपचुनाव के लिए शाह आलम उर्फ़ गुड्डू जमाली को बसपा के उम्मीदवार के रूप में खड़ा करते हुए मायावती ने दावा किया था कि जब भी मुसलमान सपा के साथ गए तब भाजपा चुनाव जीती है। उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यक समुदाय ने जब भी बसपा में विश्वास दिखाया है तब बीजेपी को मुश्किल हुई है।
नूपुर शर्मा विवाद को लेकर उदयपुर में कथित तौर पर दो मुस्लिम युवकों द्वारा एक दर्जी की हत्या किए जाने पर मायावती ने हत्या की निंदा की। लेकिन इस मुद्दे को संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए शोषण करने के लिए भाजपा की कथित कोशिश पर भी हमला किया। उन्होंने बीजेपी के पसमांदा मुस्लिम समाज तक पहुंचने की कोशिश का भी मजाक उड़ाया।