घोसी उपचुनाव में सपा ने जीत का परचम लहराते हुए जीत दर्ज कर ली है। बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह को 60 हजार वोटों से हरा दिया गया है। सपा ने यहां से सुधाकर सिंह को चुनाव लड़ने का मौका दिया था और जिस तरह से प्रचार किया गया, उसका नतीजों में साफ दिख रहा है। बीजेपी की सिर्फ हार नहीं हुई है, बल्कि जिस अंतर ये पराजय मिली है, इसके बड़े सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
बीजेपी कैसे हार गई ये चुनाव?
असल में शुरुआती कुछ राउंड की गिनती के बाद ही सपा प्रत्याशी ने बीजेपी पर अपनी बढ़त बना ली थी। फिर लगातार वो लीड बढ़ती चली गई और अब जब नतीजे घोषित किए गए तो जीत का अंतर 60 हजार वोटों का रहा। अब चुनावी मौसम में बीजेपी के लिए ये एक बड़ी हार है, ज्यादा चिंताजनक इसलिए भी है क्योंकि मिशन लोकसभा चुनाव में 80 सीटें जीतने का रखा हुआ है। लेकिन वर्तमान स्थिति में जिन कारणों की वजह से बीजेपी ने घोसी सीट गंवा दी है, वो अपने आप में बता रहा है कि चुनौती बड़ी है और राह इतनी आसान नहीं रहने वाली।
मुस्लिम फैक्टर
यहां ये समझना जरूरी है कि घोसी में मुस्लिम समीकरण बहुत तगड़ा चलता है। मुख्तार अंसारी के परिवार का इस सीट पर गहरा प्रभाव है। इस बार वैसे भी किसी भी दल ने मुस्लिम प्रत्याशी को नहीं उतारा, ऐसे में विकल्प चुनने का कोई मौका नहीं रहा और एकमुश्त वोट सपा की तरफ ट्रांसफर हो गया। माना जा रहा है कि सुधाकर सिंह को जो 60 हजार से ज्यादा वोटों वाली जीत मिली है, उसमें मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा हाथ है।
दारा सिंह का दल बदलना
अब घोसी में बीजेपी के हारने का कारण खुद दारा सिंह चौहान भी माने जा सकते हैं। उनकी तरफ से जिस तरह से पिछले कुछ समय में दल बदले गए हैं, जनता के बीच में अच्छा प्रभाव नहीं पड़ा है। 2022 के विधानसभा चुनाव से ठी पहले योगी सरकार में मंत्री रहे दारा सिंह ने पार्टी छोड़ सपा का हाथ थाम लिया था। लेकिन जब अखिलेख की अगुवाई में सरकार नहीं बन पाई, वे दोबारा बीजेपी में शामिल हो गए। अब उनका ये दल बदलू अंदाज ही जनता को कन्फ्यूज कर गया और घोसी में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा।
योगी का देर से प्रचार करना
इस चुनाव में एक पैटर्न ये भी देखा गया कि सप प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी थी, वे लगातार प्रचार में लगे हुए थे। वहीं दूसरी तरफ चुनावी मशीनरी के लिए मशहूर बीजेपी ने अपने सबसे बड़े स्टार प्रचारक सीएम योगी आदित्यनाथ को एकदम ऐन वक्त पर उतारा। माना जा रहा है कि उसका भी चुनावी नतीजों में असर साफ दिख रहा है।
इंडिया गठबंधन को मिला बड़ा बूस्टर
अब ये सिर्फ बीजेपी की हार नहीं है, बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन की पहली बड़ी जीत भी मानी जा रही है। असल में एक बड़ा एक्सपेरिमेंट करते हुए इंडिया गठबंधन ने घोसी सीट पर सपा उम्मीदवार का समर्थन कर दिया था, ऐसे में मुकाबला सीधे बीजेपी का एक ही उम्मीदवार से रहा। अब नतीजे बता रहे हैं कि वोटों का बंटवारा नहीं हुआ और एक बड़ी जीत दर्ज कर ली गई। अब इसी फॉर्मूले के साथ इंडिया गठबंधन आगे भी कई चुनावों में अपने प्रत्याशियों का चयन कर सकता है।