नवरात्रों में गाजियाबाद प्रशासन के द्वारा लिया गया मीट बैन का फैसला अब वापस ले लिया गया है। इस संबंध में प्रशासन की तरफ से एक चिट्ठी जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि मीट नवरात्रि के दौरान मीट बेचने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है। इस ममाले में अब यूपी सरकार के नियमों का ही पालन किया जाएगा। इससे पहले गाजियाबाद प्रशासन ने आदेश दिया था कि 2 से 10 अप्रैल के बीच गाजियाबाद में मीट बिक्री पर पूर्णता प्रतिबंध लगा दिया गया है।

मीट दुकानदारों ने किया विरोध: प्रशासन की ओर से मीट बिक्री पर प्रतिबंध के आदेश के तुरंत बाद इस फैसले का विरोध होना शुरू हो गया था। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मीट दुकानदारों ने यह कहते हुए इस पर सवाल उठाये थे कि नवरात्रि में शराब पर तो कोई प्रतिबंध नहीं लगा फिर मीट दुकानदारों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है। यह हमारी रोजी रोटी का एकमात्र साधन है। यदि इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो हम बेरोजगार हो जाएंगे। हमारी दुकानों में लाखों रुपए का माल खराब हो जाएगा।

मीट बिक्री पर लगाई थी रोक: गाजियाबाद प्रशासन ने आदेश जारी करते हुए शहर के पांच क्षेत्रों में मीट बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया था। आदेश में कहा गया था कि महापौर के निर्देशों के अनुसार मंदिरों में सफाई बनाए रखने के और अवधि के दौरान मांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश दिया गया है।

महापौर के आदेश के बाद जिले में 9 टीमों का गठन किया गया था जो शहर में घूम-घूम कर मीट की दुकानों पर कार्यवाही कर रही थी। ऐसी ही कार्यवाही का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें कर्मचारी यह कहते हुए सुना जा रहा है कि  “अगर एक भी किसी के यहां दिख गया तो बुलडोजर मंगवा कर वहां से यहां तक ना तोड़वा दिया तो कहना…तुमलोग यही चाहते हो तो यही होगा…।”

गाजियाबाद नंद किशोर गुर्जर त्योहारों के दौरान मांस की दुकानों को बंद करने की कई अपीलें की थीं। उन्होंने एक पत्र में लिखा था कि कई दुकानों के द्वारा खुले में मांस बेचा जा रहा है इस पर तुरंत कार्यवाही करते हुए रोक लगाने का अनुरोध किया था।