समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान का जेल में बिताए 27 महीनों का दर्द एक बार फिर छलका है। उन्होंने अपने और अपने परिवार पर हुई कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस तरह मुकदमे होते हैं मरी हुई मां पर मुकदमा, मेरी बहन जो चल नहीं सकतीं उन्हें पुलिस घसीटकर ले गए, इतने घिनौने मुकदमे किसी राजनेता पर नहीं हुए होंगे।
एबीपी गंगा के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि आजादी के बाद कोई ऐसा राजनीतिक व्यक्ति हुआ है, जिस पर ऐसे मुकदमे हुए हों। उन्होंने कहा कि मुकदमों की रफ्तार ये है कि हर तीसरे मिनट पर एक मुकदमा हुआ। आजम खान ने अपने परिवार के लोगों के खिलाफ हुई कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा कि मेरी मरी हुई मां पर मुकदमा, 5 किताबों की राइटर मेरी बड़ी बहन जो अपने पैरों पर चल नहीं सकती, नमाज के मुसल्ले पर बैठी थीं, उन्हें पुलिस घसीटकर जीप में डालकर ले गई। मेरे रिटायर्ड भाई पर 307 का मुकदमा दर्ज किया गया।
उन्होंने कहा, “मुझे माफिया बना दिया मैं भूमाफिया हूं, पौने चार बीघा जमीन, जिनमें से 2 बीघा यूनिवर्सिटी के बाहर है और पौने 2 बीघा जमीन का उन मालिकों को भी नहीं मालूम है।” केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लेकर उन्होंने कहा कि उनकी इंटेलीजेंस मेरे मामले में बिल्कुल फेलियर है। उन्हें मालूम नहीं कि मैं कैसा इंसान हूं। उन्हें मालूम नहीं कि मैं भूमाफिया, क्रिमिनल हूं या नहीं।
उन्होंने कहा, “माफिया नंबर 1 पर मेरा नाम लिया जाता था, दो पर मुख्तार अंसारी और तीसरे पर अतीक अहमद। अगर ये हमारी इंटेलीजेंस का हाल है तो फिर जो कुछ हो रहा है हमें क्या शिकायत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1 या 2 मामले ठीक हो सकते हैं, लेकिन नब्बे मुकदमें सच्चे नहीं हो सकते।”
उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के टाइम पर भी दो साल की जेल हुई थी, तब भी मैंने माफी नहीं मांगी। ना मैं तब गुनहगार था ना अब हूं। मैं शीशे का जाम नहीं था जो टूट जाता। उन्होंने बताया, “आजादी के बाद सैकड़ों यूनिवर्सिटी बनाई गई। पूंजीपतियों ने बनाई वो उनका बिजनेस था आज भी है, लेकिन दामन फैलाकर प्याला ले जाकर भीख मांगकर मैंने चंदा मांगकर यूनिवर्सिटी बनाई, जो आजादी के बाद पहला और अब तक का शायद आखिरी विश्वविद्यालय है। जो मैंने स्कूल बनाए, उनमें 20 रुपये फीस देकर पढ़ने वाले बच्चे टॉप करते हैं। मैंने जो जमीन खरीदी उसकी 1-1 ईंच का पैसा भरपूर दिया।”