लखीमपुर मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम कीस रिपोर्ट देखने के बाद सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट हत्थे से उखड़ गया। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बयान पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्हें किसानों को धमकी नहीं देनी चाहिए थी। लखनऊ बेंच के जस्टिस डीके सिंह ने मामले के अन्य आरोपियों लव कुश, अंकित दास, सुमित जायसवाल और शिशुपाल की जमानत याचिका खारिज कर दी।
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत देने की अपील की थी। लेकिन उन्हें मायूस होना पड़ा। कोर्ट ने 25 मई तक इस याचिका पर सरकार को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि राजनेताओं को मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें अपने पद के अनुरूप बोलना चाहिए। कानून बनाने वालों से अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वो कानून तोड़ें। कोर्ट ने कहा कि वारदात वाले दिन से पहले अगर अजय मिश्रा ने किसानों के खिलाफ टिप्पणी न की होती तो ये घटना न होती। ध्यान रहे कि अजय मिश्रा ने घटना से दो दिन पहले एक पब्लिक मीटिंग में कहा था कि किसान अपना आंदोलन वापस कर लें नहीं तो दो मिनट में होश ठिकाने लगा दिए जाएंगे।
अदालत ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आचरण पर भी तीखा एतराज जताया। कोर्ट का कहना था कि जब उन्हें पता था कि किसान आंदोलन की वजह से इलाके में निषेधाज्ञा लागू थी तो उन्हें वहां जाना ही नहीं चाहिए था। कोर्ट का कहना था कि डिप्टी सीएम के ओहदे पर बैठे नेता से ऐसी आशा नहीं की जा सकती। उन्हें कम से कम कानून का ख्याल रखना चाहिए था।
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र मुख्य आरोपी हैं। उन पर आरोप है जिस थार गाड़ी से किसानों की कुचलकर मौत हुई, उस पर मिश्र ही सवार थे। हालांकि अरेस्ट के बाद आशीष को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बेल को रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताते हुए आशीष को 25 अप्रैल तक सरेंडर करने का आदेश दिया था। मोहलत पूरी होने के एक दिन पहले ही 24 अप्रैल को आशीष ने सरेंडर कर दिया था। अभी वो न्यायिक हिरासत में है।