इलाहबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भारतीय महिलाएं अपने पति को लेकर काफी अधिक पजेसिव होती है और वह कभी नहीं किसी अन्य महिला के साथ उसे साझा नहीं कर सकती है।
न्यायाधीश राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने यह टिप्पणी उस मामले में की है जिसमें निचली अदालत ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में एक व्यक्ति को सजा सुनाई है, जिसे उच्च न्यायालय की ओर से बरकरार रख गया।
न्यायालय ने कहा कि आरोपी सुशील कुमार ने तीसरी बार शादी की थी और जाहिर तौर पर यही एकमात्र कारण था कि उसकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली। इसके आगे न्यायालय की ओर से कहा गया कि किसी पत्नी के लिए आत्महत्या की यह “ठोस वजह” हो सकती है कि उसका पति किसी और महिला के साथ उसे बिना बताए गुपचुप तरीके से शादी कर लें।
लाइव लाइव के अनुसार सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि “वे (भारतीय महिलाएं) अपने पति को लेकर काफी पजेसिव होती है।, किसी भी विवाहित महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसके पति को कोई और महिला साझा कर रही है या वह किसी और महिला से शादी करने जा रहा है। ऐसी विकट स्थिति में उनसे किसी भी तरह की समझदारी की उम्मीद करना असंभव होगा। इस मामले में भी ठीक ऐसा ही हुआ है।”
मृतक महिला ने वाराणसी के मंडुआडीह पुलिस स्टेशन में अपने पति सुशील कुमार और उसके परिवार के छह सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें चोट पहुंचाने, धमकी देने और जीवनसाथी के जीवनकाल में दोबारा शादी करने के आरोप शामिल थे।
इस एफआईआर में महिला ने पति पर आरोप लगाया है कि उसका पति पहले से ही दो बच्चों के साथ शादीशुदा था, लेकिन उसने बिना तलाक लिए तीसरी बार शादी के कर ली। इसके साथ उसने पति और ससुराल वालों ने उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया।
एफआईआर दर्ज कराने के कुछ देर बाद ही महिला ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने मामले की जांच करते हुए महिला के पति और परिवारवालों को आरोपी बनाते हुए जिला अदालत में चार्जशीट दाखिल की, जिसके बाद कोर्ट ने आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाईं।