यूपी के सुल्तानपुर के एडीजे (ADJ) मनोज शुक्ला को निलंबित कर दिया गया है। मनोज शुक्ला तब चर्चा में आए थे, जब वो अपनी पैतृक जमीन को बचाने के लिए जेसीबी के आगे लेट गए थे। उन्हें निलंबित करने का फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया है।
मिली जानकारी के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुल्तानपुर जिला अदालत के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) मनोज कुमार शुक्ला को एक बुल्डोजर के सामने लेटने पर निलंबित कर दिया है। आदेश के अनुसार एडीजे शुक्ला के आचरण पर संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति ने उन्हें निलंबित करने का निर्णय लिया है। इस आदेश को सुल्तानपुर जिला न्यायालय को भेज दिया गया है।
एडीजे शुक्ला उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के छपिया शुक्ल गांव के रहने वाले हैं। उनकी जमीन को जिला प्रशासन ने हरिया-रजवाहा सरयू नहर के निर्माण के लिए अधिग्रहित किया था। ये नहर उस सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्घाटन पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
ये जमीन एडीजे शुक्ला के पिता की नाम पर है। बताया जा रहा है कि राज्य के सिंचाई विभाग ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण में सहायता मांगी थी। अधिग्रहण के बाद प्रशासन ने सभी भूस्वामियों को पत्र भेजे और कुछ ही समय बाद निर्माण कार्य शुरू कर दिया।
बता दें कि एडीजे शुक्ला पूरी रात जिला प्रशासन की टीम के सामने बिना कुछ खाए-पिए जमीन पर लेटे रहे थे। तब उन्होंने कहा था- ““मैं एक न्यायिक अधिकारी हूं, यह मेरी पुश्तैनी जमीन है। हमारी जमीन पर कब्जा किया जा रहा है, यह काम गलत है। भूमि अधिग्रहण नियमों के विरुद्ध है।”
घटना के बाद, बस्ती के जिला मजिस्ट्रेट ने राज्य सरकार को एक रिपोर्ट भेजी थी, जिसने इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय को भेज दिया था। जिसपर सस्पेंड करने की कार्रवाई की गई।
इस घटना को लेकर सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट करके योगी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि अगर एक न्यायिक अधिकारी के साथ ऐसा हो सकता है, तो सोचिए कि आम जनता का क्या हो सकता है।