उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार कर दिया है। योगी मंत्रिमंडल में चार चेहरों को शामिल किया गया है। उत्तर प्रदेश के चर्चित नेता ओम प्रकाश राजभर, दारा सिंह चौहान, आरएलडी के विधायक अनिल कुमार और भाजपा विधायक सुनील कुमार शर्मा को मंत्री बनाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान ईस्ट से वेस्ट तक सभी क्षेत्रों का खास ख्याल रखा है।
अनिल कुमार आरएलडी विधायक हैं और मुजफ्फरनगर की पुरकाजी विधानसभा सीट से चुनाव जीते हैं तो वहीं सुनील कुमार शर्मा भाजपा के टिकट पर साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। सुनील शर्मा 2022 के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक वोटों से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड दर्ज करा चुके हैं। उन्होंने दो लाख चौदह हजार वोटों से जीत दर्ज की थी।
ओमप्रकाश राजभर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख हैं और उन्होंने गाजीपुर की जहूराबाद विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी। वहीं दारा सिंह चौहान एमएलसी हैं।
अनिल कुमार
अनिल कुमार दलित समुदाय से आते हैं और मुजफ्फरनगर क्षेत्र में बड़ा नाम है। वह तीन बार विधायक बन चुके हैं। इसके पहले वह 2012 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। अनिल कुमार आरएलडी के नेता हैं और जयंत चौधरी ने हाल ही में एनडीए में आने का फैसला किया है। ऐसे में गठबंधन के तहत अनिल कुमार को मंत्री बनाया गया है और दलित समीकरण को साधने का प्रयास किया गया है। उत्तर प्रदेश में दलितों की आबादी करीब 20 फीसदी है।
सुनील शर्मा
सुनील शर्मा की गिनती भाजपा के बड़े ब्राह्मण नेताओं में होती हैं और साहिबाबाद से विधायक हैं। 2017 और 2022 दोनों विधानसभा चुनाव में उन्होंने प्रदेश में सबसे अधिक वोटों से जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया है। सुनील शर्मा शुरू से संगठन में सक्रिय रहे हैं और एबीवीपी में काम कर चुके हैं। सुनील शर्मा राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़े हुए थे। उत्तर प्रदेश में करीब 10 फीसदी ब्राह्मणों की आबादी है। ऐसे में उन्हें मंत्री बनाकर योगी सरकार ने ब्राह्मणों को संदेश देने का प्रयास किया है।
ओम प्रकाश राजभर
ओमप्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश के चर्चित नेता हैं। वह सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख हैं। ओम प्रकाश राजभर 2017 में भी योगी कैबिनेट में शामिल थे लेकिन 2 साल बाद उन्होंने जाति जनगणना के मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया था। उत्तर प्रदेश में राजभर समाज का वोट करीब ढाई फीसदी है। लेकिन पूर्वांचल के कुछ जिलों में इनकी आबादी 18 से 20 फीसदी है। वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर, आजमगढ़, बलिया, देवरिया और मऊ में राजभर की आबादी 15 से 20 फीसदी है। ऐसे में ओम प्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल में शामिल कर भाजपा ने राजभर वोटों को साधने का प्रयास किया है।
दारा सिंह चौहान
दारा सिंह चौहान उत्तर प्रदेश के चर्चित ओबीसी नेता और तीन बार सांसद रह चुके हैं। वह सपा, बसपा और भाजपा तीनों दलों में रह चुके हैं। दारा सिंह को सबसे पहले सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर 1996 में राज्यसभा भेजा था। उसके बाद वर्ष 2000 में उन्हें फिर से समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा भेजा। फिर उन्होंने पार्टी छोड़ दी और बहुजन समाज पार्टी ने 2009 में लोकसभा का टिकट दिया। घोसी लोकसभा सीट से दारा सिंह चौहान ने जीत हासिल की और लोकसभा में पहुंचे। बसपा सुप्रीमो मायावती दारा सिंह चौहान पर बहुत भरोसा करती थी और उन्होंने लोकसभा में अपनी पार्टी का नेता बना दिया है।
इसके बाद उत्तर प्रदेश में बीजेपी की लहर आई और दारा सिंह चौहान बीजेपी की नांव पर सवार हो गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में दारा सिंह चौहान ने मधुबन विधानसभा सीट से दावेदारी ठोकी और जीत हासिल की। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। सपा ने उन्हें घोसी से टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की। लेकिन फिर समाजवादी पार्टी में दारा सिंह चौहान का मन नहीं लगा और वह भाजपा में चले आए। 2023 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन की और उसके बाद घोषी विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ, लेकिन दारा सिंह चौहान को हार का सामना करना पड़ा। चुनाव में हार के बावजूद भाजपा ने चौहान को एमएलसी बनाया और अब मंत्री बनाया। इससे पता चलता है की दारा सिंह चौहान की राजनीतिक हैसियत कितनी है। दारा सिंह चौहान नोनिया समुदाय से आते हैं, जो ओबीसी वर्ग की एक आबादी है। इनकी संख्या उत्तर प्रदेश में करीब तीन फीसदी है।