UP upchunav: लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में खराब प्रदर्शन को लेकर सबसे ज्यादा सवाल प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पर उठ रहे हैं। राज्य में अब उनका अगला सबसे बड़ा टेस्ट दस विधानसभा सीटों पर होने जा रहा उपचुनाव है। उपचुनाव में अंतिम फैसला लेने के लिए योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी कमर कस ली है। बुधवार को ही उन्होंने RSS के ज्वाइंट जनरल सेक्रेटरी अरुण कुमार से मुलाकात की। इस मीटिंग के बाद वे गुरुवार शाम दिल्ली पहुंचे, जहां उन्हें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करनी है।

द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अरुण कुमार चाहते थे कि बुधवार की मीटिंग बीजेपी दफ्तर पर हो लेकिन यह बैठक योगी के आधिकारिक आवास पर हुई। योगी के करीबी नेताओं की मानें तो वह उपचुनाव में कैंडिडेट्स डिसाइड करने से लेकर पार्टी की रणनीति को लागू करने के लिए होने वाले कार्यों में नेताओं के चयन में फ्री हैंड चाहते हैं।

योगी कैंप की तरफ से फ्री हैंड को लेकर दलील दी जा रही है कि लोकसभा में उनके द्वारा दिए गए सुझावों को नजर अंदाज किया गया। इन सुझावों में जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को सौंपे गए कार्यों के बारे में जानकारी, कैंपेन स्ट्रैटजी, कैंडिडेट्स का चयन शामिल है। योगी कैंप का कहना है कि इसी वजह से लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी का ग्राफ घटकर 33 पर आ गया। योगी कैंप का यह भी कहना है कि सीएम नहीं चाहते थे कि यूपी में भीषण गर्मी में सात चरण लंबा चुनाव चले।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये मुद्दे पार्टी के लोगों के बीच में लखनऊ में हुई बीजेपी स्टेट वर्किंग कमेटी में 15 जुलाई को उठाए थे। यहां उन्होंने पार्टी अति आत्मविश्वास की भी बात की थी। इसी दौरान केशव प्रसाद मौर्य द्वारा ‘संगठन सरकार से बड़ा है’ वाला दिया गया था। इसके दो दिनों बाद सीएम योगी ने अपने मंत्रियों की साथ अपने आवास पर जब मीटिंग की तो उसमें केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और यूपी बीजेपी चीफ शामिल नहीं हुई। इसी मीटिंग में सीएम योगी ने मंत्रियों को दस सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव की जानकारी दी थी।

उपचुनाव को लेकर योगी ने मंत्रियों को काम करते रहने को कहा

इसके बाद उपचुनाव को लेकर बीजेपी की सेंट्रल लीडरशिप भी एक्टिव हुई है औऱ दिल्ली में सीएम योगी और उनके दोनों डिप्टी व यूपी बीजेपी चीफ के साथ मीटिंग कर चुकी है। हाल में पांच अगस्त को सीएम योगी के आवास पर एक और मीटिंग हुई थी, जिसमें दोनों डिप्टी और भूपेंद्र चौधरी शामिल हुए थे।

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अब द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उपचुनाव को लेकर हुई मीटिंग में भले ही योगी के दोनों डिप्टी और यूपी बीजेपी चीफ भूपेंद्र चौधरी को शामिल हुए हों लेकिन सीएम ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए कि वे उन्हें बड़े पैमाने पर बाहर रखेंगे। जिन मंत्रियों को उपचुनाव में विभिन्न सीटों की जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें अपना काम करते रहने के लिए कहा गया है, साथ ही स्टेट प्रेजिडेंट और केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक से कहा गया है कि वो विभिन्न इलाकों में कैंप करें और हालात मॉनिटर करें।

योगी ने खुद ली है मिल्कीपुर और कटेहरी की जिम्मेदारी

उत्तर प्रदेश उपचुनाव को लेकर सीएम योगी के दृढ़ संकल्प का एक और संकेत- अयोध्या में मिल्कीपुर और अंबेडकर नगर में कटेहरी सीटें हैं, जिनकी जिम्मेदारी उन्होंने व्यक्तिगत रूप से ली है। इन दोनों सीटों को दस सीटों में सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मिल्कीपुर विधानसभा सीट अवधेश प्रसाद के इस्तीफे से खाली हुई है जबकि कटेहरी लालजी वर्मा के। लालजी वर्मा ने बीजेपी के रितेश पांडे को चुनाव में हराया।

इस महीने की शुरुआत के बाद सीएम योगी इन दोनों सीटों पर या आसपास के इलाकों में कई कार्यक्रम कर चुके हैं। अन्य विधानसभा सीटों के मामले में भी सीएम योगी ने कैंडिडेट तय करने के लिए अपने विश्वस्त लोगों से ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करवाई है। अब क्योंकि यूपी में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है, इसको लेकर सीएम योगी ‘रोजगार मेला’ पर खास तवज्जो दे रहे हैं। गुरुवार को वे दिल्ली जाने से पहले यूपी वेस्ट के मुजफ्फरनगर में थे , जहां उन्होंने मीरापुर विधानसभा में लोन और अपॉइंटमेंट लेटर्स बांटे। यहां उपचुनाव होना है। सीएम योगी ऐसे ही कार्यक्रम मिल्कीपुर और कटेहरी में भी कर चुके हैं।

उपचुनाव नतीजों के आधार पर तय होगा योगी का भविष्य?

कहा जा रहा है कि अगर उपचुनाव में बीजेपी को नुकसान हुआ तो यह सीएम योगी की पोजिशन के लिए किसी खतरे से कम नहीं होगा। लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के मुंह खून लग चुका है। उन्होंने भी अपने सीनियर नेताओं को उपचुनाव की जिम्मेदारी दी है। जातिगत सर्वे के अलावा सपा-कांग्रेस मुस्लिम, ओबीसी और दलितों पर फोकस कर रहे हैं।

उपचुनाव वाली सीटों में सिर्फ तीन थीं बीजेपी के पास

जिन दस सीटों पर उपचुनाव होना है, उस सीटों में तीन-  गाजियाबाद, खैर और फूलपुर बीजेपी के पास थीं जबकि उसकी सहयोगियों निषाद पार्टी और रालोद के पास एक-एक सीट (क्रमश: मझवान और मीरापुर) थीं। इसके अलावा पांच सीटों- सीसामऊ, मिल्कीपुर, करहल, कटेहरी और कुंदरकी पर सपा ने 2022 में जीत दर्ज की थी। यूपी की वर्तमान विधानसभा में बीजेपी के 255, उसके सहयोगियों के 20, सपा के 111 और कांग्रेस के दो विधायक हैं।