Shafiqur Rahman Barq: केन्द्र की मोदी सरकार ने पीएफआई के आतंकी गतिविधियों के साक्ष्य मिलने के बाद संगठन को पांच साल के लिए बैन कर दिया है। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद अब राजतीतिक दलों के नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं।

अपने बयानों के चलते अक्सर चर्चा में रहने वाले उत्तर प्रदेश के संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने भी अपनी राय व्यक्त की है। सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा, ‘पीएफआई पढ़े लिखों का संगठन है, पढ़े-लिखों की पार्टी है। मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करती है।मुसलमानों पर होने वाली ज्यादती पर खड़ी होती है, इसलिए बैन कर दिया गया है।

शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा कि हमने पीएफआई की कोई देश विरोधी गतिविधि नहीं देखी है। जांच एजेंसियां किसी को भी इनवालव कर देती है। उन्होंने सवाल करते हुए पूछा कि मुसलमानों संग जुल्म-ज्यादती करने वाली आरएसएस पर बैन क्यों नहीं लगाया? आरएसएस ने मुसलमानों के खिलाफ फर्जी कार्रवाई और जुल्म किया है। हमारे रसूल के खिलाफ बोलने वाले के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?’ उन्होंने कहा कि देश में बहुत सारी घटनाएं हो रही हैं जैसे- मॉब लिंचिंग, और महिलाओं के खिलाफ अपराध लेकिन इन मुद्दों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।”

बर्क ने कहा, ‘सरकार के पास पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के दो एजेंडा हैं- पहला वे महंगाई, विकास, किसानों और स्वास्थ्य शिक्षा जैसे मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं चाहते हैं। दूसरे, वे 2024 के चुनावों के लिए ध्रुवीकरण कर रहे हैं, और इस तरह की कार्रवाइयों के माध्यम से वे कोशिश कर रहे हैं कि मुस्लिम समुदाय को डराओ।

इससे पहले, समाजवादी प्रवक्ता अमीक जमी ने कट्टरपंथी संगठन के खिलाफ केंद्र सरकार की कार्रवाई को 2024 के चुनावों से जोड़कर दावा किया कि यह ‘ध्रुवीकरण’ की दिशा में एक कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार देश के प्राथमिक मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहती है। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि क्या इस सरकार की गलत नीतियों के कारण शिक्षकों, आंगनवाड़ी और किसानों का विद्रोह रुकने वाला नहीं है। इसलिए आपको 2024 के चुनावों के लिए सिंहासन खाली करना होगा क्योंकि लोग आगे बढ़ रहे हैं।