इसके इतर भारतीय जनता पार्टी में खासी मायूसी देखी जा रही है। असल में भारतीय जनता पार्टी ऐसा दावा कर रही थी कि नेताजी के निधन के बाद इस सीट पर भगवा परिचम हर हाल में फहराएगा लेकिन उसकी तमाम कोशिशें नाकाम रहीं और एक बार फिर से मैनपुरी संसदीय सीट पर समाजवादियों का कब्जा कायम रहा ।

राजनीतिक टीकाकार ऐसा मानते हैं कि चाचा भतीजे की जुगलबंदी का फायदा 2024 के संसदीय चुनाव में समाजवादी पार्टी को बड पैमाने पर मिल सकता है। शिवपाल अखिलेश के एक होने के बाद समाजवादी पार्टी की ताकत के बढ़ने के उम्मीद जताई जा रही है। समाजवादी पार्टी मैनपुरी संसदीय सीट के चुनाव में जिस ढंग से सक्रिय दिखाई दी है, उसी अंदाज में लोकसभा का चुनाव लड़ना चाह रही है। इससे भाजपा आलाकमान कहीं ना कहीं चिंतित है।

साल 2017 से समाजवादी पार्टी में अखिलेश ओर शिवपाल के बीच सत्ता संघर्ष चल रहा था, लेकिन मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी संसदीय सीट के चुनाव के ऐलान के साथ ही दोनों ने हाथ मिला लिए।शिवपाल अखिलेश यादव ऐसे ही एक नहीं हुए हैं। शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पूरी पार्टी की पार्टी का विलय समाजवादी पार्टी में कर लिया है। शिवपाल सिंह यादव साफ-साफ शब्दों में अब बोलने लगे हैं कि कि वे हमेशा समाजवादी पार्टी के साथ रहेंगे और अखिलेश और समाजवादी पार्टी को ताकत और मजबूती प्रदान करने का काम करेंगे।

जब बात उठी कि शिवपाल को क्या पद दिया जाएगा तो उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया कि उनकी कोई महत्त्वाकांक्षा नहीं है। वे उत्तर प्रदेश में नेता विरोधी दल भी रह चुके हैं और कई दफा मंत्री भी रह लिए हैं, इसलिए किसी भी पद का कोई महत्त्व नहीं है। शिवपाल के इस बयान को अखिलेश के लिए बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि कल तक वे खुद अपने लिए सम्मान की और अपने कार्यकर्ताओं को सम्मान दिलाने की बात कहते आ रहे थे।

2022 के विधानसभा चुनाव में जहां शिवपाल सिंह यादव 100 सीट मांग कर रहे थे, बाद में केवल एक जसवंतनगर विधानसभा सीट पर ही उन्हें मैदान में उतारा गया और वे सदन में पहुंचे। बाद में शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश से दूरी बना ली थी और उनके रुख से ऐसा लगा था कि वे सत्तारूढ़ दल के करीब जा सकते हैं। लेकिन उन्होंने अपने पत्ते पूरी तरह से खोले नहीं थे।

शिवपाल को लेकर भारतीय जनता पार्टी आलाकमान ऐसा मान कर के चल रहा था कि अखिलेश से उनकी अनबन चल रही इसलिए वे भाजपा को फायदा पहुंचाने का काम करेंगे। लेकिन शिवपाल ने भाजपा के मंसूबों पर पानी फेरते हुए भतीजे के साथ खड़ा होना ज्यादा मुनासिब समझा।