Mainpuri By Polls: मैनपुरी उपचुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार डिंपल यादव ने सोमवार (14 नवंबर, 2022) को अपना नामंकन दाखिल कर दिया है। इस दौरान उनके पति और सपा प्रमुख अखिलेश यादव उनके साथ रहे। बता दें नामांकन करने से पहले डिंपल यादव (Dimple Yadav) सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के साथ मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के स्मारक स्थल पर गईं। इस दौरान दोनों लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर हाथ जोड़कर प्रार्थना की।

अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था कि मैनपुरी उपचुनाव में सपा के प्रत्याशी के रूप में दरअसल नेताजी की समाजवादी आस्थाओं का ही नामांकन हो रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी दलों के लोगों और जनमानस ने सैफई आकर नेताजी को श्रद्धांजलि दी है, उसका सच्चा परिणाम ये होगा कि सपा प्रत्याशी की ऐतिहासिक जीत होगी।’

बता दें, मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी सीट पर समाजवादी पार्टी ने डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया है। डिंपल इससे पहले सपा की मजबूत सीटें रही फिरोजाबाद और कन्नौज को सुरक्षित नहीं रख सकी थी। ऐसे में देखना है कि तीन दशक से जिस सीट पर सपा जीत दर्ज कर कर रही है, उसे डिंपल यादव कैसे बरकरार रखती हैं?

अखिलेश यादव 2009 में कन्‍नौज और फिरोजाबाद से सांसद चुने गए थे, जिसके बाद उन्‍होंने फिरोजाबाद से इस्‍तीफा दे दिया था। ऐसे में फिरोजाबाद उपचुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को सपा ने मैदान में उतारा था जिनके सामने कांग्रेस से राजबब्बर मैदान में थे। लाख सपा की लाख कोशिश के बाद भी डिंपल यादव फिरोजाबाद से उपचुनाव हार गईं थी। इसके बाद डिंपल 2012 में संसद तब पहुंचीं, जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने और कन्नौज सीट से इस्तीफा दे दिया था।

वहीं कन्नौज उपचुनाव में डिंपल यादव 2012 में निर्विरोध चुनी गई थीं, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट को डिंपल यादव को महज 19,907 वोटों से जीत हासिल हुई थी, जबकि यूपी की सत्ता में पर सपा का कब्जा था और मुख्यमंत्री खुद अखिलेश यादव थे, लेकिन यूपी की सियासत ने करवट ली तो डिंपल यादव 2019 चुनाव में कन्नौज सीट हार गईं, उस वक्त डिंपल को बसपा का भी समर्थन था, लेकिन यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई। सुब्रत पाठक यहां से बीजेपी के सांसद चुने गए।