ग्रामीण इलाकों में जमीन और मकान से जुड़े काम अब पहले से कहीं आसान होने वाले हैं। गांवों में आबादी की जमीन की खरीद-बिक्री, नाम चढ़ाने और मालिकाना हक को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने यह विधेयक लाया है। अब घरौनी को ही सरकारी और मान्य दस्तावेज माना जाएगा। विरासत, बिक्री या किसी और वजह से घरौनी में नाम बदलना और उसमें सुधार करना आसान कर दिया गया है। इतना ही नहीं, घरौनी में अगर कोई गलती हो, मोबाइल नंबर या पता बदलना हो, तो उसे भी आसानी से अपडेट किया जा सकेगा।

यह कदम भारत सरकार की स्वामित्व योजना के तहत उठाया गया है। इस योजना में ड्रोन की मदद से गांवों के आबादी वाले इलाकों का सर्वे किया गया है और उसी आधार पर मालिकाना रिकॉर्ड तैयार किए गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने अब इन रिकॉर्ड्स को कानूनी मान्यता देने का फैसला किया है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के मुताबिक, इससे घरौनी रिकॉर्ड को सुरक्षित रखना, समय-समय पर अपडेट करना और उनका कानूनी प्रबंधन करना संभव हो सकेगा।

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उन्होंने बताया कि स्वामित्व योजना का मकसद गांवों में सही सर्वे कर लोगों को उनके घर और जमीन के पक्के कागजात देना है। इससे ग्रामीण अपने मकान और जमीन के आधार पर बैंक से लोन ले सकेंगे और दूसरी आर्थिक सुविधाओं का भी फायदा उठा पाएंगे। इसके साथ ही जमीन के सही रिकॉर्ड तैयार होंगे, संपत्ति कर तय करने में आसानी होगी, जीआईएस नक्शे बनेंगे और ग्राम पंचायतें अपनी विकास योजनाएं बेहतर तरीके से बना सकेंगी।

योजना में 1.10 लाख से ज्यादा गांव शामिल

मंत्री ने बताया कि इस योजना को लेकर केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच पहले ही समझौता हो चुका है। प्रदेश के करीब 1,10,344 गांवों को इसके तहत अधिसूचित किया गया है। इनमें से गैर-आबाद गांवों को छोड़कर 90,573 गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा हो चुका है। 9 मई 2025 तक करीब 1 करोड़ 6 लाख से ज्यादा घरौनियां तैयार की गई हैं, जिनमें से 1 करोड़ 1 लाख से अधिक घरौनियां ग्रामीणों को बांटी जा चुकी हैं।

नाम बदलने के नियम अब साफ

जयवीर सिंह ने बताया कि घरौनी बनने के बाद समय के साथ विरासत, उत्तराधिकार या बिक्री जैसी वजहों से उसमें नाम बदलने और सुधार की जरूरत पड़ती है, लेकिन अब तक इसके लिए साफ नियम नहीं थे। इसी कमी को दूर करने के लिए राजस्व परिषद के प्रस्ताव पर यह विधेयक लाया गया है।

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विधेयक में साफ किया गया है कि गांव की आबादी का रिकॉर्ड घरौनी कहलाएगा। इसमें मालिक का नाम और पता, भूखंड का विवरण, क्षेत्रफल, नक्शा और स्थान से जुड़ी जानकारी दर्ज होगी। किसी गांव की सभी घरौनियों को मिलाकर घरौनी रजिस्टर बनाया जाएगा और एक अलग आबादी नक्शा भी तैयार होगा। सर्वे और रिकॉर्ड तैयार करने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है। इस कानून के तहत हर जिले में जिलाधिकारी एक अभिलेख अधिकारी नामित करेंगे।

जमीन विवाद घटेंगे

मंत्री ने कहा कि इस कानून के लागू होने से गांवों में जमीन और मकान से जुड़े विवाद कम होंगे, रिकॉर्ड में पारदर्शिता आएगी, कर व्यवस्था बेहतर होगी और विकास योजनाओं को मजबूती मिलेगी। कुल मिलाकर, यह कानून ग्रामीण आबादी वाले इलाकों के लिए एक अहम और दूरगामी असर वाला कदम साबित होगा।